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9 Sep 2017 · 1 min read

यही है दुनिया

कविता – – -( वर्ण पिरामिड)

रे
भोले
मनवा
दुनिया की
चालबाजियां
कब समझेगा
ओ मूरख नादान।

है
सब
भरम
दुनिया में
ना ही कुछ भी
सांचा है जग में
झूठ पैर पसारे।


प्राणी
ईश्वर
से तू डर
इक दिन तो
तुझे जाना ही है
शरण में उसी की।

—-रंजना माथुर दिनांक 20/08/2017
(मेरी स्व रचित व मौलिक रचना)
©

Language: Hindi
419 Views
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