Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Apr 2021 · 1 min read

यहां पर प्यार न कर!

यहां पर प्यार करने की कोई वस्तु नहीं है।
फिर भी प्यार करता रहता है।
यहां पर सब कुछ मिथ्या है।
फिर भी उन पर मरता रहता है।
करना है प्यार तो ईश्वर से कर।तो भव सागर तर जायेगा।
आत्मा को शांति मिलेगी, और आवागमन छूट जायेगा।
यहां पर तू योग करने आया है,भोग करने नही आया है।
राही है राही बन कर जीले, जिन्हें तू रिश्ते समझता है।
वे पल दो पल के साथी है।उनका साथ कब छूट जायेगा।
उनसे न गांठ बांध,बस इतना ही समझले।

राह चलते चलते!

Language: Hindi
3 Comments · 231 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
छन्द- सम वर्णिक छन्द
छन्द- सम वर्णिक छन्द " कीर्ति "
rekha mohan
*गणतंत्र (कुंडलिया)*
*गणतंत्र (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
शिकवा
शिकवा
अखिलेश 'अखिल'
वो ही प्रगति करता है
वो ही प्रगति करता है
gurudeenverma198
"ऐ जिन्दगी"
Dr. Kishan tandon kranti
हिन्दी ग़ज़़लकारों की अंधी रति + रमेशराज
हिन्दी ग़ज़़लकारों की अंधी रति + रमेशराज
कवि रमेशराज
देखी है हमने हस्तियां कई
देखी है हमने हस्तियां कई
KAJAL NAGAR
दो शे'र
दो शे'र
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
2728.*पूर्णिका*
2728.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मुस्कुराते रहो
मुस्कुराते रहो
Basant Bhagawan Roy
युवा अंगार
युवा अंगार
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
चाल, चरित्र और चेहरा, सबको अपना अच्छा लगता है…
चाल, चरित्र और चेहरा, सबको अपना अच्छा लगता है…
Anand Kumar
माँ सरस्वती अन्तर्मन मन में..
माँ सरस्वती अन्तर्मन मन में..
Vijay kumar Pandey
"वक्त की औकात"
Ekta chitrangini
नई शिक्षा
नई शिक्षा
अंजनीत निज्जर
■ उल्टा सवाल ■
■ उल्टा सवाल ■
*Author प्रणय प्रभात*
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Shyam Sundar Subramanian
वक्ष स्थल से छलांग / MUSAFIR BAITHA
वक्ष स्थल से छलांग / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
अभी दिल भरा नही
अभी दिल भरा नही
Ram Krishan Rastogi
दुआ को असर चाहिए।
दुआ को असर चाहिए।
Taj Mohammad
अल्प इस जीवन में
अल्प इस जीवन में
Dr fauzia Naseem shad
खोदकर इक शहर देखो लाश जंगल की मिलेगी
खोदकर इक शहर देखो लाश जंगल की मिलेगी
Johnny Ahmed 'क़ैस'
कठिन परिश्रम साध्य है, यही हर्ष आधार।
कठिन परिश्रम साध्य है, यही हर्ष आधार।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
वातावरण चितचोर
वातावरण चितचोर
surenderpal vaidya
कहाँ है!
कहाँ है!
Neelam Sharma
संस्कार और अहंकार में बस इतना फर्क है कि एक झुक जाता है दूसर
संस्कार और अहंकार में बस इतना फर्क है कि एक झुक जाता है दूसर
Rj Anand Prajapati
रुदंन करता पेड़
रुदंन करता पेड़
Dr. Mulla Adam Ali
*बदलना और मिटना*
*बदलना और मिटना*
Sûrëkhâ Rãthí
फूलों की महक से मदहोश जमाना है...
फूलों की महक से मदहोश जमाना है...
कवि दीपक बवेजा
गम के बादल गये, आया मधुमास है।
गम के बादल गये, आया मधुमास है।
सत्य कुमार प्रेमी
Loading...