Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Mar 2019 · 4 min read

मौसम-ए-चुनाव

नमस्कार साथियों
कैसे हैं
सब कुशल और मंगल
हम मंगल पर घर बनायें या ना बनायें
किन्तु घर में मंगल को अवश्य स्थान दें।
बहुत दिन से शांत ज्वालामुखी का अनुकरण कर रहा था
मैं कुछ कह नहीं रहा था
और आप कुछ सुन नहीं रहे थे
लेकिन मेरे अंदर ज्वाला भी है
और मैं बहिर्मुखी भी हूँ
बस एकमुखी रुद्राक्ष नहीं पहनता
जब-जब पोस्टर, बैनर, प्रचार देखता हूँ
ज्वाला को और बल मिल जाता है
और मेरे अंदर की भावना जागृत ज्वालामुखी के रूप में विस्फोट बनकर निकलती है
जिसका मलबा लावा के रूप में नवीन सृजन करता है(ऊपजाऊ धरा का)
तब-तब कलम उठाता हूँ
आइए आपको धर्म से राजनीति की समानता दिखाता हूँ
जो किसी ने नहीं सोचा वो नयी बात लाता हूँ
और आपके आंखों के सामने से परदे हटाता हूँ
सबसे पहले पहली बार आपके सामने मैं एक नयी धारण लेकर पटल पर उपस्थित हूँ।

जिस प्रकार मंदिर में पूजा की जाती है तो उसका फल भी प्राप्त होता है जिसमें माध्यम पुजारी होता है और मंदिर में भगवान प्रतिष्ठित होते हैं
अपनी-अपनी आस्था के अनुरूप
अपने-अपने धर्म के अनुरूप
अपने-अपने सम्प्रदाय के अनुरूप
जय हो,भारतीय धर्म की, सनातन धर्म की,हिन्दू धर्म की।
मनुष्य को अपने कर्मों का फल अवश्य मिलता है चाहे वो आस्तिक हो या नास्तिक
इसी धरा में
इसी लोक में,मृत्युलोक में।
आप जानते हैं, अच्छे से, नहीं, बहुत अच्छे से
मगर मैं यहाँ धर्म की बात नहीं करने आया हूँ तो फिर आपका इतना बहुमूल्य समय क्यों बर्बाद किया जाए?
मैं आस्तिक हूँ पर धर्मांध नहीं और खासकर अंधभक्त तो बिल्कुल नहीं।
फिर आज का विषय क्या है?
सीधे-सीधे मुद्दे पर आता हूँ
अब ये भी आपको बताना पड़ेगा तो ठीक है, चुनाव आ गए हैं।
हाँ,सरकार आपने सही सुना”चुनाव”
जी हाँ, चुनाव।
लोकतंत्र के इस भव्य मंदिर में संविधान रुपी भगवान के आकाशवाणी(नियमानुसार)के आदेशानुसार चुनाव रुपी अनुष्ठान संपन्न होना है जिसमें समस्त नागरिकों (भक्तों)द्वारा यज्ञ(चुनाव)का पुण्य फल प्राप्त करने का अति विशेष अवसर प्रदान किया गया है हालांकि ये अनुष्ठान प्रति पांच वर्षों में होता है तो भक्ति की भावना थोड़ी क्षीण हो जाती है अभी तो एकदम जागृत अवस्था में है।
मंदिर-लोकतंत्र
भगवान-संविधान
यज्ञ-चुनाव
पुजारी-चुनाव आयोग
अनुष्ठान-मतदान
भक्त-मतदाता
धर्म-राजनीति
धार्मिक आयोजन-लोकतांत्रिक प्रक्रिया
फल-जनप्रतिनिधि मुख्यमंत्री के रूप में
प्रसाद-प्रलोभन स्वरूप पैसा और समान
मंत्र-राजनीतिक भाषण
पूजन सामग्री-बैलेट,EVM मशीन, पोस्टर, बैनर, माला, घोषणा पत्र,
भजन-राजनीतिक गीत
आरती-राजनीतिक वादे
मैंने हर एक चीज बड़ी ही सूक्ष्मता से आपके सामने रख दी है।आप भारत के एक जिम्मेदार नागरिक हैं मैं भी हूँ और आपको अपना धर्म अवश्य ही निभाना होगा।यदि आप मतदान नहीं करते हैं तो भी आपको फल प्राप्त होगा और मतदान करते हैं तो फल में परिवर्तन ला सकते हैं।
अब आप सोचिए कहते हैं कि मेहनत का फल मीठा होता है।
ये कितना मीठा होगा कि एकदम कड़ुवा होगा ये तो ईश्वर ही जानता है।
कर्म का फल तो अवश्य मिलता है चाहे वो कर्म करे या ना करे।
राजनीति का फल कितना मीठा होगा ये तो आने वाला समय ही बतायेगा लेकिन फल तो जरूर आयेगा।जिसे कोई रोक नहीं सकता स्वयं भगवान भी।
सियासत को समझें
अपनों को जाने
एकता को माने
मानवता का रहे साथ
एक दूसरे से बंधा हो हाथ
प्रेम से बढ़कर कोई धर्म नहीं
सहयोग के आगे कोई कर्म नहीं
निष्पक्ष हो कर करें मतदान
लोकतंत्र की बचायें जान
प्रलोभन को कहें ना
देश चाहिए बदलना
सबके अपने-अपने विचार
भारत मां को ना करें लाचार
नेता को अपना वचन निभाना होगा
और उन्नति को खिंच कर लाना होगा
जो न करेगा वादा पूरा
अगले जनम में होगा वो नर अधूरा
एकता, अखण्डता और धर्म निरपेक्षता
यही है भारत की एकमात्र विषम विशेषता
आप सभी को मेरा आह्वान
केवल बने एक सार्थक इंसान
देशभक्ति से आपको शक्ति मिलेगी
जो भारत माँ को अपना समझे उसे मुक्ति मिलेगी
अब जाग जाइए कृपा निधान
आप सुन रहें हैं मेरी जबान-ये आदित्य की ही कलम है श्रीमान
एक कविता आप सभी को समर्पित है-

चुनाव, चुनाव ना हुआ
हो गया जैसे जंग का मैदान

राजनीति के रंग अनोखे
गिरगिट से भी तेज रंग बदले इंसान

सत्ता की भूख अजब है
मानव ही मानव का करता शरसंधान

रूप बदल के नेता जी कहे
विकास ही है हमारा अब केवल अभियान

चोर-चोर मौसेरे भाई सब यहाँ
जनता उनके संबंधों से रहती है अनजान

भीतर कुछ है बाहर कुछ
प्रजा गधी है और नेता महान

सेवा की चिंता किसको है
सेवक बन जाता है जब मुख्य और प्रधान

वादे, भाषण, आश्वासन से भरे पड़े हैं
नेताओं की चुनाव में खुल गयी दुकान

नेता जी बांट रहे हैं जोरशोर से
हमारे मत का मुंहमांगा वरदान

देखो,बहरुपियों की फौज खड़ी है
सुना है अब फिर होने हैं मतदान

देश से लेना (है)-देना नहीं
नेता में फिर जागा है भस्मासुर शैतान

हाथ जोड़ना भी आ गया इनकों
जैसे कोई सज्जन नहीं इनके समान

कैसे-कैसे रुप दिखेंगे भला
लोकतंत्र भी हो जायेगा देख कर हैरान

प्रजातंत्र की जय हो!हे ईश्वर!
भारत का भाग्य क्या होगा कृपा निधान?

स्वयं की कलम से-आपका ही अपना आदित्य
जय हो,चुनाव हो
धन्यवाद

पूर्णतः मौलिक स्वरचित अलख वाली सृजन
आदित्य कुमार भारती
टेंगनमाड़ा, बिलासपुर, छ.ग.

Language: Hindi
3 Likes · 254 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
फिर एक पलायन (पहाड़ी कहानी)
फिर एक पलायन (पहाड़ी कहानी)
श्याम सिंह बिष्ट
क्या सीत्कार से पैदा हुए चीत्कार का नाम हिंदीग़ज़ल है?
क्या सीत्कार से पैदा हुए चीत्कार का नाम हिंदीग़ज़ल है?
कवि रमेशराज
रिश्ते वही अनमोल
रिश्ते वही अनमोल
Dr fauzia Naseem shad
पुस्तक
पुस्तक
जगदीश लववंशी
माता - पिता
माता - पिता
Umender kumar
*** चंद्रयान-३ : चांद की सतह पर....! ***
*** चंद्रयान-३ : चांद की सतह पर....! ***
VEDANTA PATEL
चील .....
चील .....
sushil sarna
साथ जब चाहा था
साथ जब चाहा था
Ranjana Verma
*वकीलों की वकीलगिरी*
*वकीलों की वकीलगिरी*
Dushyant Kumar
"फागुन गीत..2023"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
न बदले...!
न बदले...!
Srishty Bansal
*संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ/ दैनिक रिपोर्ट*
*संपूर्ण रामचरितमानस का पाठ/ दैनिक रिपोर्ट*
Ravi Prakash
सपनो का सफर संघर्ष लाता है तभी सफलता का आनंद देता है।
सपनो का सफर संघर्ष लाता है तभी सफलता का आनंद देता है।
पूर्वार्थ
जख्म भी रूठ गया है अबतो
जख्म भी रूठ गया है अबतो
सिद्धार्थ गोरखपुरी
...........!
...........!
शेखर सिंह
मेरे दिल ❤️ में जितने कोने है,
मेरे दिल ❤️ में जितने कोने है,
शिव प्रताप लोधी
शुभ होली
शुभ होली
Dr Archana Gupta
जो रास्ता उसके घर की तरफ जाता है
जो रास्ता उसके घर की तरफ जाता है
कवि दीपक बवेजा
पति पत्नी में परस्पर हो प्यार और सम्मान,
पति पत्नी में परस्पर हो प्यार और सम्मान,
ओनिका सेतिया 'अनु '
तेरा कंधे पे सर रखकर - दीपक नीलपदम्
तेरा कंधे पे सर रखकर - दीपक नीलपदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
मौहब्बत को ख़ाक समझकर ओढ़ने आयी है ।
मौहब्बत को ख़ाक समझकर ओढ़ने आयी है ।
Phool gufran
3274.*पूर्णिका*
3274.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हैवानियत
हैवानियत
Shekhar Chandra Mitra
हो भासा विग्यानी।
हो भासा विग्यानी।
Acharya Rama Nand Mandal
भेज भी दो
भेज भी दो
हिमांशु Kulshrestha
गांव के छोरे
गांव के छोरे
जय लगन कुमार हैप्पी
"नारियल"
Dr. Kishan tandon kranti
Mathematics Introduction .
Mathematics Introduction .
Nishant prakhar
💐प्रेम कौतुक-558💐
💐प्रेम कौतुक-558💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
हर कदम बिखरे थे हजारों रंग,
हर कदम बिखरे थे हजारों रंग,
Kanchan Alok Malu
Loading...