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13 Aug 2021 · 2 min read

” मौलिक रचनाओं को शेयर करना और छेड़छाड़ “

डॉ लक्ष्मण झा”परिमल ”
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हम परिंदों की तरह उच्चे आकाश में उड़ना चाहते हैं ! बंदिशों में घुटन महसूस होने लगती है ! सम्पूर्ण विश्व को अपने आगोश में समेटने की ललक को साकार करने में हमारे ये आधुनिक यन्त्र का योगदान काफी सकारात्मक सिद्ध होने लगा ! नयी -नयी विचारधाराओं का अध्ययन और मनन करने का सौभाग्य हमें प्राप्त होने लगा ! विश्व समाचारों को सुनने , देखने और पढ़ने का अवसर बस यूँ चुटकी बजाते संभव हो जाते हैं ! संगीत और गायन का स्वाद भी हम मन चाहे चख लेते हैं ! विभिन्य भंगिमाओं वाली चलचित्र ..मनचाहा टेलीविज़न कार्यक्रमों को हम अपनी एक आवाज पर ही इनका अवलोकन कर सकते हैं ! महान-महान व्यक्तिओं के जीवनिओं को इतिहास के पन्नों में झांक सकते हैं और विश्व के वर्तमान महापुरुषों की कार्यशैलिओं का अध्ययन करते हैं ! हमारे फेसबुक के रंगमंचों में भी विभिन्य भांति के दिग्गज कलाकारों का जमघट है ! कोई अपनी साहित्यिक लेखों से ..अपनी कविताओं की फुहारों से …सकारात्मक टिप्पनिओं से ….राजनीतिक विश्लेषणों से …चित्रकारी ..छाया छविओं से …स्वास्थ्य सबंधी जानकारिओं से और ना जाने कितनी विधाओं को लेकर हमारे रंगमंच में चार चाँद लगा देते हैं ! उनके अभिनय को देखकर हम तालियाँ बजाते हैं ..वाह..वाह..करते हैं और उनकी भंगिमाओं को आजन्म अपने मानस पटल पर सहेज कर रखते हैं ! ………….पर हमारी अकर्मण्यता तो देखिये ! हम कुछ पढना नहीं चाहते ..कुछ लिखना नहीं चाहते ..बस सोना हमें अच्छा लगता है ! आँखें जब खुलतीं हैं ..तो हम लोगों की कविता ..साहित्य ..लेख इत्यादि को शेयर करने लगते हैं ….”जनहितक सूचना ,व्यंगात्मक चित्र ,दर्शन आ उद्धरण शेयर केनाय नीक..परंच मौलिक रचना कें शेयर केनाय सब कें ग्राह्य नहि हेतनि “……आखिर उनलोगों की कार्यशैली को भला कौन सराहेगा ? ..हमें अपने हुनर से ..अपने अभिनय से रंगमंच को सजाना है अन्यथा लोग भूल जायेंगे !
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डॉ लक्ष्मण झा”परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
एस ० पी ० कॉलेज रोड
दुमका
झारखण्ड
भारत

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 1 Comment · 248 Views
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