मौन
शब्दों से परे …..
निःशब्द है मौन।
जब शब्द करे प्रहार
और बन जाए तलवार
प्रत्युत्तर बन जाता मौन ।
शब्दों की महिमा अपरम्पार,
करें व्यंग्य और तिरस्कार,
रक्षा कवच बन जाता मौन।
कहने से हल्की हो जाती,
जब बाते शब्दो मे न समाती,
तब वजनदार बन जाता मौन ।
अगर शब्द हैं, निर्झर नाद,
कलरव करते हैं संवाद
तब शांति सरोवर सा
एहसास कराता है मौन।
प्रेमी युगल की भाषा है,
प्रेम की परिभाषा है ।
आँखों ही ऑंखों में
सबकुछ कह जाता मौन ।
मौन स्वयं ही भाषण है,
व्यक्तित्व का आकर्षण है,
शब्द जहां बिखर जाते
उम्मीद वहां बन जाता मौन ।
शब्दों से परे ……
निःशब्द है मौन ।