मौत का जिम्मेवार कौन
सड़कों पर आज मौत बरस रही है
बच्चे जवान बूढ़े मर रहे है
ना मिली है कोई दवाई
नाही काम आयी कोई भलाई …!
मंदिर-मस्जिद बन्द पड़े हैं
चर्च -गुरुद्वारे बन्द पड़े हैं
जनता की साँसें उठ रही है
अमीरों की रोटी सिक रही है..!
नेता – अधिकारी मौज ले रहे
दोनो हाथों से धन बटोर रहे हैं
लोग सड़क पर तड़फ रहे है
माँताओं के लाल मर रहे हैं..!
माँग के सिंदूर उजड़ रहे हैं
बच्चे अनाथ हो रो रहे हैं
शमशान आबाद हो रहे हैं
लाशों के टोकन बंट रहे हैं..!
कहाँ गया भगवान तुम्हारा..?
कहाँ गया अल्लाह…?
ईस्वर क्यो खामोश खड़ा है..?
कहाँ छुप गया अल्लाह.?
लाखों लीटर दूध बह गया है
अरबों का सोना चांदी चढ़ गया है
कर्मकांडो में जीवन खो गया
अपना अपना धर्म हो गया
इंसानियत का खून हो गया..!
धर्म के लिए हत्या हो गयी
मानवता शर्मशार हो गयी
विधर्मियों की चीत्कार हो गयी
हथगोले बन्दूक चल गयी
बेकसूरों की गर्दन कट गयी..!
फिर भी ना जगा ईस्वर..?
क्यो ना जगा अल्लाह…?
कहाँ गया ईस्वर..?
कहाँ छुप गया अल्लाह ..?
मुल्ला-पंडित मौज ले गए
राजा-नेता मौज ले गए
व्यापारी-गुंडे मौज ले गए
मिट्टी-पत्थर ईस्वर-अल्लाह हो गए..!
आम आदमी का खून चूसते
दिन-दहाड़े गला काटते
अवलाओं की इज्जत लुटते
फिर भी जीवन भर मौज मारते..!
यही है सब जीवन की कहानी
ना कोई ईस्वर
ना अल्लाह रूहानी
सब को अपनी अपनी जीनी
सुख-दुख की सब अपने ऊपर लेनी..!
भूल जाओ कोई सहायता
भूल जाओ अलौकिक शक्ति
ना काम आएगी कोई भक्ति..!
प्रेम पर केवल विस्वास करो
मानवता पर ही आश करो
एक दूसरे का हाथ बढ़ाओ
सुख-दुःख को सब मिलकर बिताओ..!
भूखा-प्यास ना छोड़ो किसी को
काम की सीख दो सभी को
भावनाओं का समुंदर बहाओ
लालच-घमण्ड को दूर भगाओ..!
यही है ईस्वर
यही है अल्लाह
यही धर्म है
यही कर्म है
आओ सब अब मिल जायें
पाखंडियों को दूर भगाएं
बुराइयों की चिता जलाएं
और जीवन, सुखमय बनाए…
यही है जीवन
यही है जीवन…!!!