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19 Mar 2019 · 1 min read

मोह

मायामोह
एक मकड़जाल
सतत उधेड़ बुन
मकड़ी है मन
ताना बाना में जीवन
मोह संबंधों का
विविध अनुबंधों का
मोह है लक्ष्य का
मोह अगम्य का
तज कर मोहमाया भरमाए
सिद्धार्थ भी कहाँ मोह छोड़ पाए
पलायित कर उत्तरदायित्व
प्राप्त पूर्णत्व बुद्धत्व
मानव मूल का सत्व
ये भी तो मोह के तत्व
आत्मा का आश्रय एक खोह
भौतिक तन भी तो मोह
परिवर्तित होता स्वरूप
मोह जीवन के अनुरूप
मोहभंग विरक्ति
विषयहीन विभक्ति
पलायनवाद की अभ्युक्ति
मोह से सच्ची मुक्ति
जीवन से मुक्ति
-©नवल किशोर सिंह

Language: Hindi
341 Views
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