मोहे प्रीत के रंग रंगना
रंग से नही रंगना,
सजन मोहे अपने रंग में रंगना !
कच्चे रंग दिखावे के,
मोहे प्रीत के पक्के रंग रंगना !!
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बारह महीनो चढ़ा रहे,
मोहे फाग के रंग में रंगना !
सावन भादो हरा रहे
मोहे ऐसे रंग में तुम रंगना !!
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ज्यो – ज्यो चढ़े,
बैसाख – ज्येष्ठ की दुपहरी !
तपती धरती में,
हो जाये मेरा रंग भी पक्का !!
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पूस – माघ की सर्दी में,
जम जम जाये, रंग हो ठंडा !
हर मास असर दिखाये,
सजन मोहे ऐसे रंग में रंगना !!
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रंग से नही रंगना,
सजन मोहे अपने रंग में रंगना !
कच्चे रंग दिखावे के,
मोहे प्रीत के पक्के रंग रंगना !!
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डी. के. निवातिया
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