मोहब्बत दिमागी दोखा है
मोहब्बत नजर से ज्यादा दिमाग का धोखा है
लगता है कि मर जाएंगे कुछ कर जाएंगे
पर जो होना है वो सब हौले हौले होता है ।
दिमाग जिसे मोहब्बत कहता है
वह केबल समय की जरूरत है
जैसे स्वाद बदलता है
वैसे ही मोहब्बत का नया द्वार खुलता है ।
मोहब्बत नजर से ज्यादा दिमाग का धोखा है..
जो चाहता है जाना नजरों से दूर, उसे जाने दो
इंद्रियों को जकड़ लो और उसे जाने दो
दिमाग से कह दो ये मजाक था
क्योकि यही मौसम का मिजाज था ।
आज सर्दी तो तो कल गर्मी होगी
फिर धरती भी बादलों की बूंदों से गीली होगी
हर बार नया मानसून आता है बादल बदल जाते हैं
और चक्र चलता है जरूरत का ।
चट्टान खड़ी होकर घिसती है टूटती है
और हवाएं-फिजाएं बदल जाते है
ये दिल है कोई चट्टान नही जो केबल टूटेगा या घिसेगा
ये हवा का झोंका है जो मौसम की जरूरत बनेगा ।
मोहब्बत नजर से ज्यादा दिमाग का धोखा है..
बिकल्प ही मरहम है जीवन संगीत का हमदम है
रास्ते भटक जाए तो क्या
दूसरी राह पकड़ लक्ष्य पाने का भी तरीका है
दिल है कोई ढोल नही जो एक थाप पर ही बजेगा
ये संतूर है जो सौ तार की ध्वनि बनेगा
मोहब्बत नजरों से ज्यादा दिमाग का धोखा है …
जिंदगी उसकी भी है जो सोने के पिंजड़े में कैद है
आजादी ही मोहब्बत है, उसे आजाद करो
पिंजरें में रखकर उससे मोहब्बत की ना फरियाद करो
हम सब को अलग होना ही है
फिर आज और कल का क्या भरोसा है…
जिंदगी नजरों से ज्यादा दिमाग का धोखा है…..