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31 Jul 2017 · 1 min read

मोहन तुम थे एक मुसाफिर

मोहन तुम थे एक मुसाफिर
हमको कभी नहीं ज्ञान हुआ ,
इक दिन तुमको जाना होगा
इसका तनिक नहीं भान हुआ ।

नँदबाबा ने गोद खिलाया
मैया से ममता पान हुआ
माखन ग्वालिन का चुराया
गोपिन सँग रास महान हुआ ।

प्रेम राधिका ने बरसाया
तू कृष्णा मीत जहान हुआ
सुदामा मित्र रूप में भाया
मित्रता का भी सम्मान हुआ ।

चौरासी कोस का बृजमँडल
तुम्हारा लीला स्थान हुआ ।
तुम सा मुसाफिर मिला बृज को
जिससे यह पावन धाम हुआ ।

डॉ रीता

Language: Hindi
Tag: गीत
363 Views
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