Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Aug 2016 · 3 min read

मोहन जोदाड़ो फिल्म से कही आगे..

मोहंजोदाडो….
इस विषय मे हमारा जितना भी ग्यान है,उसे आधार बना मे ये अवश्य कहना चाहूँगा कि ये सभ्यता भारत की एक प्राचीन वैभव पूर्ण, गरिमामय जीवन जीने वाले लोगो से परिपूर्ण थी,सुसज्जित सुसंस्कृत लोग उनके आदर्श उनके धर्म एवं उनकी विशेशताये,उप्लब्धियां अविश्वस्नीय एवं हैरत मे डाल देने वाली थी l( इस संदर्भ में विस्त्रित पुष्टिका जल्द प्रस्तुत करूँगा )

लगभग 13लाखवर्ग किलोमीटर,कश्मीर से नर्मदा नदी और पाकिस्तान के बलुचिस्तान से उत्तर प्रदेश का मेरठ,तक इनकी मौजूदगी के प्रमाण तो प्राप्त हो ही चुके है इस आधार पर सम्कालीन सभ्यताओ मे इस सभ्यता की विशालता के समकछ भी कोइ रहा हो इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता तथा सर्वंमान्य तथय ये भी है कि ये भौतिक सुख सुविधाओ व्यापार वाडिज्य प्रधान लोग हिंसा मार पीट युध को कोई स्थान नही देते थे.ये शांति प्रिय लोग,सभ्य सुसंस्कृत लोग थे l
प्राचीन काल मे,आज से करीब पाच हजार वर्ष पूर्व के लोगो से शांतिप्रियता की अपेछा करना उचित नही प्रतीत होता जबकि वर्तमान 21वी सदी के आधुनिक कहे जाने वाले लोगो कि सबसे बडी समस्याओ मे एक समस्या हिंसा से उपजा आतंकवाद की भी है l
हिंसा समाज मे फैले आक्रोस एवं अशन्तोष को ही व्यक्त करती है l इस बात को यदि यहाँ लागू करें तो कहा जा सकता है कि सभ्यता आदि विषयों में ये आज के समय से भी आगे थे और निश्चय ही यदि वे हमारी जगह आज 21वी सदी में होते तो अपनी प्राचीन गौरव की सभ्यता का ऐसा प्रस्तुतीकरण न करते… एक इतिहास कार के लिये इससे बडी उप्लब्धि और क्या हो सकती है कि जिस प्राचीन मानव के विशय मे वो खाक छान रहा वह व उनका समाज कई मायनो मे आधुनिक मानव से भी श्रेश्ठ था..एवं उसे बडे पर्दे पर जीने का एक अवसर आज संभव बनाया जा चुका है l
बेहद प्रशंसनीय,सराह्नीय कि ऐसा होना संभव बनाया जा सका l
………….
हाथ मे तलवार लिये घोडे पर सवार हडप्पाई युग का एक चरित्र् पर्दे पर कत्लेआंम मचा रखा है l ये तलवार ये घोडे,ये अस्त्र शस्त्र आये कहाँ से उन्हे घोडे का ग्यान था ही नही और ये तलवार ….. कोई बडी बात नही….
बडे बडे द्विमंजलीय भवनो के निर्माण
की कला जानने वाले लोगो एवं चिकित्सा पध्धति की शल्य चिकित्सा को विकसित कर चुके लोगो के लिये ये एक मामूली सी बात रही होगी किंतु इन्होंने ने ऐसी किसी भी वस्तु को कोई स्थान नहीं दिया, उनकी विशेशता ही थी कि गान्धी बुद्ध की भूमि पर अहिन्सा को जीने वाले ये लोग मानव इतिहास के प्रारम्भ मे ही इसका प्रयोग कर चुके थे अद्भुत,अविश्वसनीय और उससे भी अधिक हैरत की बात जो पर्दे पर घट रही थी l
किसी ऐतिहासिक चरित्र से न्याय करने की अपेछा नही करता किंतु उसे छिन्न भिन्न कर देने का समर्थन भी कैसे करु….
हडप्पाई प्रारंभ से ही अपनी आहिन्सक नीतियो के कारण अन्याय झेलते आये हैं,और वो क्रम आज भी सतत जीवित हो चला है l मनोरंजन से किसी का भी बैर नही किंतु इसके लिये किसी ऐतिहासिक चरित्र का मान मर्दन तो न किया जाय,कदाचित ये कोई अपराध नही अभिव्यक्ती की स्वतंत्रता का ही हिस्सा है कही सम्विधान मे लिखा थोडे है कि ऐतिहासिक चरित्र से न्याय हो अथवा भारत भुमि की जयजय कार हो…

हाँ उसे सजोये रखने का उल्लेख अवश्य है किंतु बाध्य्कारी एवं न्यायालय द्वारा लागू किया जाना बिल्कुल नही है,इस स्थिति के मद्देनज़र बात को और न खीचते हुए शान्त हो कर मनोरंजन के लिये टिकट के रूप मे खर्चे रुपये की सार्थकता को अर्थपूर्ण बनाने का यत्न करूँ l

Language: Hindi
Tag: लेख
2 Comments · 529 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"ऐनक"
Dr. Kishan tandon kranti
तहरीर लिख दूँ।
तहरीर लिख दूँ।
Neelam Sharma
.तेरी यादें समेट ली हमने
.तेरी यादें समेट ली हमने
Dr fauzia Naseem shad
माँ ही हैं संसार
माँ ही हैं संसार
Shyamsingh Lodhi (Tejpuriya)
तन से अपने वसन घटाकर
तन से अपने वसन घटाकर
Suryakant Dwivedi
देश हमर अछि श्रेष्ठ जगत मे ,सबकेँ अछि सम्मान एतय !
देश हमर अछि श्रेष्ठ जगत मे ,सबकेँ अछि सम्मान एतय !
DrLakshman Jha Parimal
छाती
छाती
Dr.Pratibha Prakash
नव प्रबुद्ध भारती
नव प्रबुद्ध भारती
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
💐प्रेम कौतुक-281💐
💐प्रेम कौतुक-281💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
धरा
धरा
Kavita Chouhan
मंज़र
मंज़र
अखिलेश 'अखिल'
Under this naked sky, I wish to hold you in my arms tight.
Under this naked sky, I wish to hold you in my arms tight.
Manisha Manjari
बापू तेरे देश में...!!
बापू तेरे देश में...!!
Kanchan Khanna
नाजायज इश्क
नाजायज इश्क
RAKESH RAKESH
पंखों को मेरे उड़ान दे दो
पंखों को मेरे उड़ान दे दो
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
अब तक मुकम्मल नहीं हो सका आसमां,
अब तक मुकम्मल नहीं हो सका आसमां,
Anil Mishra Prahari
यह कैसा है धर्म युद्ध है केशव
यह कैसा है धर्म युद्ध है केशव
VINOD CHAUHAN
मन मर्जी के गीत हैं,
मन मर्जी के गीत हैं,
sushil sarna
जीवनी स्थूल है/सूखा फूल है
जीवनी स्थूल है/सूखा फूल है
Pt. Brajesh Kumar Nayak
जिन्दगी की पाठशाला
जिन्दगी की पाठशाला
Ashokatv
लइका ल लगव नही जवान तै खाले मलाई
लइका ल लगव नही जवान तै खाले मलाई
Ranjeet kumar patre
संकल्प का अभाव
संकल्प का अभाव
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
चाहता है जो
चाहता है जो
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
* भैया दूज *
* भैया दूज *
surenderpal vaidya
मनोहन
मनोहन
Seema gupta,Alwar
नयकी दुलहिन
नयकी दुलहिन
आनन्द मिश्र
इश्क़—ए—काशी
इश्क़—ए—काशी
Astuti Kumari
पुलवामा की याद (कुंडलिया)
पुलवामा की याद (कुंडलिया)
Ravi Prakash
शिक्षा अपनी जिम्मेदारी है
शिक्षा अपनी जिम्मेदारी है
Buddha Prakash
■ आज की बात...
■ आज की बात...
*Author प्रणय प्रभात*
Loading...