Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Apr 2019 · 1 min read

मोबाइल की दुनिया

मोबाइल की है ये दुनिया
व्यस्त इसी में चुनिया मुनिया
रहते हैं अब गुमसुम आँगन
सूने सूने रहते उपवन
छीन लिया बच्चों का बचपन
नहीं खिलौनों में रमता मन
दाल शाक कुछ इन्हें न भाते
दूध देख कर नाक चढ़ाते
रोटी का इक कौर न खाते
लेकिन पिज़्ज़ा खूब उड़ाते
फास्ट फूड का चलन निराला
बर्गर भाता मेकडी वाला
तभी आंख पर दिखती ऐनक
मोटापा भी देता दस्तक
गूगल जी अब पाठ पढ़ाते
संस्कार पर सिखा न पाते
सुविधाएं तो अब ज्यादा है
चैन रह गया पर आधा है
मोबाइल से बाहर आओ
कुदरत से सम्पर्क बनाओ
छोटा सा है जीवन अपना
पूरा करना है हर सपना

09-04-2019
डॉ अर्चना गुप्ता

2 Likes · 335 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr Archana Gupta
View all
You may also like:
रोज गमों के प्याले पिलाने लगी ये जिंदगी लगता है अब गहरी नींद
रोज गमों के प्याले पिलाने लगी ये जिंदगी लगता है अब गहरी नींद
कृष्णकांत गुर्जर
रक्षाबंधन (कुंडलिया)
रक्षाबंधन (कुंडलिया)
दुष्यन्त 'बाबा'
माशूक की दुआ
माशूक की दुआ
Shekhar Chandra Mitra
खुश है हम आज क्यों
खुश है हम आज क्यों
gurudeenverma198
"एक हकीकत"
Dr. Kishan tandon kranti
ले आओ बरसात
ले आओ बरसात
Santosh Barmaiya #jay
-मंहगे हुए टमाटर जी
-मंहगे हुए टमाटर जी
Seema gupta,Alwar
सच तो हम सभी होते हैं।
सच तो हम सभी होते हैं।
Neeraj Agarwal
💐प्रेम कौतुक-386💐
💐प्रेम कौतुक-386💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
उसे तो देख के ही दिल मेरा बहकता है।
उसे तो देख के ही दिल मेरा बहकता है।
सत्य कुमार प्रेमी
आप इतना
आप इतना
Dr fauzia Naseem shad
वाचाल पौधा।
वाचाल पौधा।
Rj Anand Prajapati
प्रेम पथिक
प्रेम पथिक
Aman Kumar Holy
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
एक दिन में इस कदर इस दुनिया में छा जाऊंगा,
एक दिन में इस कदर इस दुनिया में छा जाऊंगा,
कवि दीपक बवेजा
वह दिन जरूर आयेगा
वह दिन जरूर आयेगा
Pratibha Pandey
पापा
पापा
Kanchan Khanna
रसों में रस बनारस है !
रसों में रस बनारस है !
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
2356.पूर्णिका
2356.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
मैं तो महज इतिहास हूँ
मैं तो महज इतिहास हूँ
VINOD CHAUHAN
वक्त से लड़कर अपनी तकदीर संवार रहा हूँ।
वक्त से लड़कर अपनी तकदीर संवार रहा हूँ।
सिद्धार्थ गोरखपुरी
कभी लगे के काबिल हुँ मैं किसी मुकाम के लिये
कभी लगे के काबिल हुँ मैं किसी मुकाम के लिये
Sonu sugandh
अम्बेडकरवादी हाइकु / मुसाफ़िर बैठा
अम्बेडकरवादी हाइकु / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
★
पूर्वार्थ
पाँव
पाँव
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
लेशमात्र भी शर्म का,
लेशमात्र भी शर्म का,
sushil sarna
राम आए हैं भाई रे
राम आए हैं भाई रे
Harinarayan Tanha
भाई लोग व्यसन की चीज़ों की
भाई लोग व्यसन की चीज़ों की
*Author प्रणय प्रभात*
जय माँ जगदंबे 🙏
जय माँ जगदंबे 🙏
डॉ.सीमा अग्रवाल
चैन से जिंदगी
चैन से जिंदगी
Basant Bhagawan Roy
Loading...