Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Sep 2017 · 4 min read

मोनू की कहानी

मोनू की कहानी

समय अबाध गति से चल रहा था । कालचक्र अपने मे जीवन की विभिन्न घटनाए समेटे गति पकड़ रहा था । रात्रिकालीन प्रहर है । शनै : शनै : अंधेरा गहराता जा रहा है । सड़क पर जनता जनार्दन की भीड़ छट चुकी है । इक्का –दुक्का इंसान शीघ्र कदमों से अपने गंतव्य की ओर अग्रसर है । घरों के रोशन दान से प्रकाश की झीनी लकीर खिंची आ रही है । ग्राम्य सिंह अपने मोर्चे पर तैनात है , और टोली बना कर धमा चौकड़ी मे व्यस्त हैं । कभी कभार भोकने -चीखने की आवाज़े सुनाई दे रही हैं । इसी रात्री मे एक बच्चा मोनू बिस्तर पर पड़ा है । उसे तीव्र ज्वर ने घेर रखा है । स्याह पड़े और मलिन चेहरे फर्क करना मुश्किल है कि किसकी कालिमा गहरी है । मोनू कराहता है , उसके बदन मे दर्द हो रहा है । उसकी पीड़ा से उसके माता –पिता भी कम व्यथित नहीं है । मोनू अभी –अभी पाँच वर्ष का हो चुका है । वह अपने विद्यालय का मेधावी छात्र है , और हमेशा प्रथम आता है । परंतु ज्वर की वजह से वह विगत दो दिनों से स्कूल नहीं जा पा रहा है । उसके मम्मी –पापा उसे पूर्व मे समझाते थे कि बेटा एक दिन स्कूल मे गैर हाजिर होने से विध्यार्थी दस वर्ष कि पढ़ाई से पीछे हो जाता है । यदि बड़े होकर कुछ करना चाहते हो तो समय के साथ चलो , नित्य विद्यालय मे हाजिरी दो और जो पढ़ाया जाता है उसे ध्यान से सुनो , समझो और कॉपी मे उतार लो ।इस बात को गांठ बांध कर चलने वाला मोनू अत्यंत दुखी व उदास है , उसके माता –पिता उसे ढाढ़स बंधा रहे हैं । समझा रहे हैं कि बेटा पहले ठीक हो जाओ फिर दुगनी मेहनत करके सभी छात्रों के समकक्ष आ जाओगे । इस तरह उदास व दुखी होने से कुछ नहीं होता । सभी मनुष्य परिस्थितियों के गुलाम हैं । उन्हे परिस्थितियों का सामना करना ही पड़ता है । विपरीत परिस्थितियों से भागने वाले कायर कहलाते हैं । अत : अपने आप पर भरोसा रखो । एकदिन तुम अपने प्रयास मेअवश्य सफल होगे । मोनू ने कराह कर आंखे बंद कर ली , माँ ने अपने नरम हथेली से उसका माथा छुया । तीव्र ज्वर है , उसके मुंह से निकला । तुरंत चिकित्सक को दिखवा लें मोनू के पापा । मै लापरवाही नहीं कर सकती । मोनू के पापा ने हामी भरी और थके हरे मन से तैयारी करने लगे । तब तक मोनू की माँ ने मोनू के कपड़े बदलकर पाउडर लगाकर तैयार कर दिया था। पापा ने स्वयं गाड़ी निकाली और मोनू की माँ ने घर बंद कर गाड़ी मे स्थान ग्रहण किया ।
मोनू को पास के प्रसिद्ध चिकित्सक के यहाँ ले जायागया । उसने परीक्षण किया , कुछ जाँचे लिखी , और कल आने के लिए कहा , और हिदायत देकर दवाइयो की राय दी । शनै :शनै :रात्रि अपने चरम पर पहुँच गयी है । भोजनोपरांत भी माता –पिता अपने लाड़ले बेटे की हालत देख कर सोने से परहेज करते रहे । कभी थर्मामीटर से ताप नापते कभी माथा दबाते । क्योंकि ताप बढ़ने से सिर मे तेज दर्द भी होने लगता था । रात्रि के अंतिम प्रहर मे ज्वर कुछ धीमा हुआ । माता -पिता इतने थक चुके थे कि अपनी सुध बुध खोबिस्तर पर अपने अपने कोनेमे निद्रा कि गोद मे सो गए ।
प्रभात की नरम -नरम धूप जब वृक्षों की डालियों से अठखेलिया करने लगी तब रात्रि का घनघोर अंधेरा स्वत :ही छट गया । बच्चे शैया से माँ का आंचल छोड़ कर क्रीडा करने लगे । रात्रि का डर भय प्रात :के उमंगों -उत्साह के समक्ष निष्प्राण हो गया था । धूप की गर्मी से बिस्तर पर हलचल होने लगी ।मोनू और उसके मम्मी -पापा ने अर्ध निमीलीत नेत्रो अपने आप का मुआयना किया । स्वयम को संभाल कर मोनू के ताप का परीक्षण किया । ज्वर बढ़ रहा था ।
हल्का -हल्का सिर मे दर्द हो रहा था । शरीर मे थकान व दर्द था । शरीर पर लाल लाल दाने थे । अविलंब मोनू को दैनिक नित्य क्रियाओ व सूक्ष्म जलपान के पश्चात चिकित्सक को दिखाया गया । परीक्षण की रिपोर्ट आ चुकी थी । आज तीसरा दिन है । मोनू को डेंगू बुखार है । योग्य चिकित्सक कभी विपरीत परिस्थितियों मे नहीं घबराते बल्कि उसका समाधान निकालते हैं ।
उन्होने मोनू के मम्मी -पापा को धीरज बँधाया और आश्वस्त किया कि उनके पास डेंगू का उपचार है । मोनू को अविलंब आकस्मिक कक्ष मे भर्ती कराया ।उपचार शुरू किया गया । मोनू की बेहोशी भी कम होने लगी । मोनू को प्लेटलेट्स चढ़ाया गया था । मोनू को स्वास्थ लाभ मिलने लगा , और वह कुछ ही दिनों मे स्वस्थ हो कर घर आ गया ।

डा प्रवीण कुमार श्रीवास्तव

Language: Hindi
3 Likes · 379 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
View all
You may also like:
परछाइयों के शहर में
परछाइयों के शहर में
Surinder blackpen
गांव की याद
गांव की याद
Punam Pande
श्री राम का अन्तर्द्वन्द
श्री राम का अन्तर्द्वन्द
Paras Nath Jha
*यार के पैर  जहाँ पर वहाँ  जन्नत है*
*यार के पैर जहाँ पर वहाँ जन्नत है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
#drarunkumarshastri♥️❤️
#drarunkumarshastri♥️❤️
DR ARUN KUMAR SHASTRI
"चिढ़ अगर भीगने से है तो
*Author प्रणय प्रभात*
चाहता है जो
चाहता है जो
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
हिन्दी दोहा बिषय- कलश
हिन्दी दोहा बिषय- कलश
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
सुखी होने में,
सुखी होने में,
Sangeeta Beniwal
मेघ
मेघ
Rakesh Rastogi
💐अज्ञात के प्रति-108💐
💐अज्ञात के प्रति-108💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
उलझ नहीं पाते
उलझ नहीं पाते
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
* राह चुनने का समय *
* राह चुनने का समय *
surenderpal vaidya
(15)
(15) " वित्तं शरणं " भज ले भैया !
Kishore Nigam
सुनो पहाड़ की....!!! (भाग - १०)
सुनो पहाड़ की....!!! (भाग - १०)
Kanchan Khanna
प्रेम मे धोखा।
प्रेम मे धोखा।
Acharya Rama Nand Mandal
तुमसे बेहद प्यार करता हूँ
तुमसे बेहद प्यार करता हूँ
हिमांशु Kulshrestha
मेरी गोद में सो जाओ
मेरी गोद में सो जाओ
Buddha Prakash
रात के सितारे
रात के सितारे
Neeraj Agarwal
आरजू
आरजू
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
बदलते रिश्ते
बदलते रिश्ते
Sanjay ' शून्य'
हाँ, ये आँखें अब तो सपनों में भी, सपनों से तौबा करती हैं।
हाँ, ये आँखें अब तो सपनों में भी, सपनों से तौबा करती हैं।
Manisha Manjari
संवेदनहीन प्राणियों के लिए अपनी सफाई में कुछ कहने को होता है
संवेदनहीन प्राणियों के लिए अपनी सफाई में कुछ कहने को होता है
Shweta Soni
ना आसमान सरकेगा ना जमीन खिसकेगी।
ना आसमान सरकेगा ना जमीन खिसकेगी।
लोकेश शर्मा 'अवस्थी'
एक खूबसूरत पिंजरे जैसा था ,
एक खूबसूरत पिंजरे जैसा था ,
लक्ष्मी सिंह
जो कुछ भी है आज है,
जो कुछ भी है आज है,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
2475.पूर्णिका
2475.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
*मूलत: आध्यात्मिक व्यक्तित्व श्री जितेंद्र कमल आनंद जी*
*मूलत: आध्यात्मिक व्यक्तित्व श्री जितेंद्र कमल आनंद जी*
Ravi Prakash
"फ़िर से आज तुम्हारी याद आई"
Lohit Tamta
आजादी का
आजादी का "अमृत महोत्सव"
राकेश चौरसिया
Loading...