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30 Sep 2016 · 1 min read

मोटूमल का भोजन

खाते रात दिवस रहे, मोटूमल भरपेट।
लड्डू पेड़ा और सभी, होता उनको भेंट।
होता उनको भेंट, भोग सबका है लगता।
जो भी मुख को भाय,सदा थाली में सजता।
कह महंत कविराय, कभी भी रहे न भूखे
हरदम भोजन ठूँस, सदा देखे हैं खाते।।

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