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14 Aug 2021 · 16 min read

मॉर्निग वॉक ……..( love story )

पिछले गुजरे साल की बात है जब मै मॉर्निंग वाक पर निकलता था ,अब तो सब बंद कर दिया हूं। एक साल हो गए है जब से कोरोना वायरस आया तब से
सब बंद है । और घर पर ही रह कर छत में वाक कर
लेता हूँ , या तो सीढ़ियों से ऊपर नीचे 10 बार एक्सर साइज हो जाती है। और अभी तो छत्तीसगढ़
में 144 धारा भी लगी है । पिछले गत दिनों से कोरोना अपने पैर जम कर पसार रही है।
मै अपने घर में सुबह 4 बजे उठता हूँ , फिर ब्रश कर के दूध पीता हू । ये सब करते करते आधा घंटा लगता है , इतने में समय होता है 4:30 फिर घर से निकलते हुवे पहले धीमे धीमे दौड़ लगाकर बॉडी को फ्री कर के एक वामप लेता हूँ , फिर तेजी से दौड़ लगाता हूं जब साँसे चढ़ने या फूलने लगता है
तो फिर मंद गति से चलता हूँ, या रूककर थोड़ा रिलेक्स होकर फिर पैदल चलता हूँ ।

इतना सब करते करते समय 6 बज जाते है।
रोज 7 किलोमीटर जाना और आना मतलब
14 किलोमीटर का सफर तय करता हूँ।

ये कभी कम कभी ज्यादा होता है रोज तो 7 किलोमीटर नहीं जाता पर हा इतना रोज चल
लेता हूँ अगर दौड़ न लगाऊ ज्यादा तो ज्यादा
दुरी तय कर पाता हूँ ,अगर दौड़ लगा दी तो फिर
कम दुरी तय कर पाता हूँ। क्यू की मुझे वापस
भी तो आना होता है, ज़्यादा दूर चला गया तो
वापस आने में दिक्कत और लेट हो जायेगा ।
इसी कारण सब हिसाब से जाता हूँ।

ये मेरी रोज की यही रूटीन थी। अब जब
थक जाता था तो एक चाय की टपरी में बैठकर
चाय की चुस्की के साथ अख़बार पढ़ता था ।
वापस उसी समय तो नहीं आ सकता था न जब
सास चढ़ जाये और थकान हो तो थोड़ा बैठना बनता है।

तो मै बैठा था आराम से थकान मिटा ही रहा था
की उसी समय मेरी नजर एक लड़की पर पड़ती है
वो सावली रंग की थी । ज्यादा गोरी नहीं थी अगर कम्पेयर करू अपने रंग से तो मेरे से हल्की सावली
कह सकता हूं न एक दम काली न गोरी पर सच कहूं
तो नैन नक्से से सुन्दर थी। सावली लड़की फेसकट
से सुन्दर होती है मुझे तो वो काफी सुन्दर लगी और सच कहूं तो वो मुझे पसन्द आई एक नजर भर कर मेने उसे देखा,पर उसने मुझे देखा नहीं अपने मॉर्निंग वॉक में बिजी थी काफी और आप सब को बता दू वो अकेली तो बिल्कुल भी नहीं थी कुछ और भी
थे । शायद उसके घर से ही हो उसकी बहन, या मम्मा या पड़ोसी मुझे नहीं पता पर वो 6 लोग
थे जो मॉर्निंग वॉक में निकले थे ।
पूरे के पूरे गर्ल आंटी की टोली थी जिसमे से 4 आंटी और 2 गर्ल थी उसमें से एक काफी गोरी
थी पर वो काफी मोटी थी ।

अब मै क्या करता सिर्फ देख बस सकता था जहाँ तक मेरी नजर जा सकती है या वो मुझे दिखाई दे
तब तक मेने उसे देखा।

अगर मेरी हालत खराब न हुआ होता तो मै भी उनके पीछे वाक में निकल पड़ता पर मेरी पूरी
एनर्जी खत्म हो गई थी ।

अब वो रास्ते से गुजर गए मैने कुछ टाइम बैठा
चाय खत्म की और फिर वहा से निकल गया
धीऱे धीऱे पैदल चलते चले जा रहा था कि तभी
चमत्कार हो गया वो फिर मुझे दिख गई वो अब
वापस आ रहे थे । पर कम्बख्त मेरी किस्मत अब
मै वापस उनके पीछे भी नहीं जा सकता था क्यू
की लगभग मै 2 किलोमीटर आ चुका था अब
वापस जाना मतलब अपने काम में लेट होना
और वो पूछ लेते की वापस कहा जा रहे हो या
हमारे पीछे आ रहे हो तो फिर तो बवाल हो जाता
मै जब सोच कर बस धीऱे धीऱे जो चल रहा था उसे
और धीऱे कर दिया जैसे कोई चींटी की चाल हो वही
पर कदम पर कदम रखते जा रहा था पर सच मानो
कदम आगे ही नहीं बढ़ रहे थे । मेने उसे पल्ट पल्ट
कर देखा पर उसने नहीं देखा शायद उसने मुझे देखा ही नहीं । पर आंटी की नजर चोखा थी उसने
मुझे देख लिया मै जब उस लड़की को देख रहा था या ताड़ रहा था तब । आंटी ने 2 बार पल्ट कर देखा
मेरा भी कैसा बैड टाइम था जब मै पलटता तभी उसी समय उस आंटी को भी पलटना होता था ऐसा
सिर्फ 2 बार हुवा और मै मुड़कर देखना बंद कर दिया । मुझे यकीन हो गया वो आंटी उसकी मम्मा
ही होगी।

फिर क्या सोचते सोचते अपना घर कब आ गया
आज पता भी नहीं चला नहीं तो जाने के टाइम
कब पहुच जाता था पता नहीं चलता था । और
घर वापस आने के टाइम समय बहुत ज्यादा समय
लगता था पर आज उल्टा ही हुवा ।

समय बीत गया कब घर आ गया पता नहीं चला
अब फ्रेश होकर खाना खा कर अपने काम पर
चला गया।

फिर अगले दिन वही सब फिर से हुवा सेम टू सेम
जैसे कोई रिपीट टेलीकास्ट सीरियल देख रहा हूँ
चाय की टपरी में बैठा ही था कि तभी रोड पर जूते
चप्पल की छपाक चपक की आवाज आई और मेरी
नजर पड़ी देखा तो वही लोग थे । इस बार में अंदर से देख रहा था टपरी के अंदर था ।
फिर आंटी ने देखा पलटकर अब तो एक और आंटी
को भनक लग गई । वो भी पलटे जा रही थी बार बार अब तो मैने ठान ली कुछ भी हो जाये अब कल से मै ज्यादा दौड़ नहीं लगाऊँगा । अपनी एनर्जी बचाकर रखूंगा और उनके पीछे पीछे दौड़ लगाऊँगा
उससे बात करुगा।

पर डर भी लगता था वो 6 और मै एक कुछ गलत
समझ गए तो पिटाई और इज्जत की तो वाट लग
जायेगी ।
पर कहते है न पहली नजर का प्यार का एहसास
कुछ अलग ही होता है, बस हमें भी कुछ ऐसा ही हुवा था ।

कुछ पंक्ति रखता हूँ….

“वो पहली नज़र का पहला प्यार का पहला एहसास //
पहली दफ़ा जब हमने उनको देखा वो सुबह
बनी अपनी खास //
दिल की धड़कन जोरों से धड़क कर कुछ कहने लगी //
पहली नज़र में हमको हुआ उनसे प्यार और दिल
हवा की तरह बहने लगी //

अब तो मै मॉर्निंग वॉक सिर्फ उसे देखने जाता था
अपनी एनर्जी बचा कर जल्द ही उस चाय की टपरी में पहुच जाता था , उसे देखकर दिन बन जाती थी
मेरे चेहरे में एक अलग स्माईल आ जाती थी जब उसे देखता था , रोज की ही तरह ये सब ऐसे चलता
गया चाय के टपरी में बैठकर उसे देखता फिर थोड़ी
देर बाद वहा से निकल कर घर जाते हुवे उसे आते देखता है ऐसे करते करते 6 महीने गुजर गए।
और मुझे पता ही नहीं चला ।
हिम्मत बहुत जुटाई की उनके
पीछे कभी मॉर्निंग वॉक करने निकलू , बात करू, नाम पूछ लू , पर मेरे से ये कभी हो नहीं पाया ।
मै कभी उनके पीछे जा ही नहीं पाया।

जैसे तैसे दिन गुजरते गए,रोज की तरह मै उसे देखता और घर आने के टाइम जाते हुवे देखता
अब तो उसे भी पता चल गया था कि मै उसे ही
देखता हूँ, वो जान गई थी ,वो भी मुझे नोटिस करने
लगी थी, पिछले कुछ दिनों से वो भी उन आंटी से नजर बचा कर देख लेती थी उन आंटी को आगे
कर के खुद पीछे हो जाती थी और अब तो हल्की
स्माईल भी दे देती थी और सच में दोस्तों वो अब
चाय की टपरी तरफ भी देखने लग गई थी ।

मुझे अब अच्छा लगने लगा था। मै भी उसे देखकर
अब हल्की स्माईल देता और वो भी ऐसे दिन उस
मुस्कान स्माईल के साथ निकलने लगे। जैसे मानो
उसकी नजर मुझे ही ढूढ़ रही हो में ये सब जानता
था पर उस टपरी के पीछे छिप कर सब देखता था ।

अब तो मुझे घर आने का मन ही नहीं करता था,और सच मानो वो टपरी ही मेरा सेकेण्ड घर बन गया था अब तो जल्दी घर आकर तैयार होकर office के लिए 9 बजे घर से निकल कर उस टपरी में जाकर बैठ जाता था । मेरे office का टाइम 10 बजे था और मेरे ऑफिस की रूटीन भी उस रोड पर नहीं थी फिर भी शायद वो दिख जाए यही सोच कर वहा जाकर बैठ जाता था ।अब तो किसी भी चीज में मन नहीं लगता था ।मुझे प्यार जो हो गया
था।

रोज की ही तरह मै सुबह वहा बैठा था पर वो लोग नहीं दिखे मुझे लगा वो शायद निकल गए हो पर मेरा टाइम तो सही था इसी टाइम तो जाते थे,या आये नहीं होंगे आने वाले होंगे ऐसा तरह तरह सोचने लगा,बार बार घड़ी देखने लगा पर वो नहीं
आई मुझे लेट भी हो रहा था मै बहुत देर रुका जो था,फिर में वहा से चला गया मेरे ऑफिस जाने के लिए लेट भी हो रहा था । घर आकर जल्द तैयार होकर फिर उस टपरी की तरफ बाइक घुमा ली और
एक कप चाय पीते पीते इधर उधर देखने लगा जैसे
मानो वो मेरे लिए वेट कर रही हो या मिलने आई हो
पर ऐसा कुछ नहीं है वो नहीं दिखी यही सच है और
ऊपर से ऑफिस के लिए लेट हो गया डॉट तो नहीं पड़ी पर ऑफिस के और स्टाफ ने कहा कितना टाइम हुवा है मैने 10:30 कहा समझ गया था उनके
पूछने का मतलब पर मै करता भी तो क्या मेरा तो अब मन ही नहीं लग रहा था , तबियत खराब है
पेचिस हो रहा बोलकर छुट्टी ले ली और फिर घर
आने के बजाय उसी टपरी में जाकर बैठ गया।
अब तो उस टपरी वाले से जान पहचान हो गई थी तो उसने भी पूछ लिया आज छुट्टी है क्या सर ऑफिस की तो मैने कहा नहीं इधर वही ऑफिस के काम से आया हूँ , छुट्टी नहीं है । और फिर अपने दोस्त को कॉल करके वहा से निकल गया।

उस पूरा दिन और रात उसी के बारे में सोचता रहा
और सोचते सोचते आँख लग गई देर से सोया था
तो देर से उठा और काफी देर हो गया था तो बाइक
निकाल कर जाने लगा तब मम्मी भी पूछ पड़ी अरे
आज तू मॉर्निंग वॉक के बजाय मॉर्निंग राइड पर जा रहा है । उस समय 6 बजे थे और जल्दी जल्दी में मम्मी को भी क्या बोल रहा हूँ समझ नहीं आया न मुझे क्या का क्या बोल गया मेने कहा हा आज लेट हो गया उठने में इस लिए बाइक से जा रहा हूँ तभी तो पहुच पाउँगा नहीं तो लेट हो जायेगा ।

मम्मी ने कहा क्या बोल रहा है कहा जायेगा कहा लेट हो जायेगा मॉर्निंग वॉक में जा रहा है या किसी
से मिलने ।

मेने कहा मुझे लेट हो रहा है मम्मी में जा रहा हूँ
मॉर्निंग वॉक में ही जा रहा हूँ ऐसा बोल कर जल्दी
से भाग गया।

मम्मी से पूरा अच्छे से बात भी नहीं की वो गुस्सा हो रही थी पर मुझे क्या सब डॉट सुन लूँगा बस वो दिख जाए यही सोच कर आया था पर वो नहीं
मिली।और ऑफिस के मेरे एक किलिक का फोन आ गया आज आ रहे हो या नहीं तबियत केसी है
अभी ठीक नहीं हुआ हूं आज नहीं आ रहा सर
जाते हुवे मेरे घर तरफ से जाना मेरा एप्लिकेशन
ले जाना तो उसने कहा सर को व्हाट्स एप्प कर दो
मेने कहा कर दिया है । फिर भी तुम एप्लिकेशन ले जाना उसने हा कहा और मैने फोन काट दिया।
अब उस टपरी पर बैठे बैठे 8 बज गए थे और मम्मी
का भी फोन आ गया और मै सुबह क्या क्या बोल कर निकला था मुझे कुछ याद भी नही था । मम्मी
ने पूछा कहा है कैसे नहीं आ रहा आज ऑफिस नहीं जाना क्या मेने कहा नहीं जाना आज मूड नहीं है और दोस्त को लेने स्टेसन आया हूं झूठ बोल कर
बात को संभाल लिया और थोड़ी देर बाद घर आया
में भूल गया था कि सर को एप्लिकेशन भी तो देना है तो जल्दी से लिखा और सर का इंतिज़ार करने लगा। सर आये उन्हें एप्लिकेशन दिया और फिर अपने रूम में बैठकर सोचने लगा।उसके बारे में
की 2 दिन हो गए क्यू नहीं आ रही तबियत खराब होगी या कुछ और बात है ।वैसा आज मै लेट हो गया शायद वो आकार चली गई होगी तरह तरह की बाते सोचने लगा । चिड़चिड़ा सा हो गया था मै
बिना बात के गुस्सा कर जाता था फिर शाम हुई और अपने दोस्तों के साथ चाय पीने निकल पड़ा
अपने दोस्तों को कहा आज दूर चलते है चाय पीने
उन्होंने कहा कहाँ मेने कहा में एक चाय की टपरी
ले चलता हूँ वो चाय काफी अच्छी बनाता है ।
और हम उसी टपरी में चले गए । काफी देर
दोस्तों के साथ चाय पीते बाते की पर मेरा ध्यान
तो रोड के तरफ ही था अंदर से दिख नहीं रहा था
तो चाय वाले को बोल कर चेयर बाहर लगवा दिया
और सब दोस्त बाहर ही बैठ गए। मुझे पता था वो
नहीं दिखेगी पर क्या करूँ दिल और मन दिमाक
नहीं मान रहा था तो बस शायद कही दिख जाए
यही सोच कर चला गया था ।
अब सब दोस्त कहने लगे चलो चलते है तो हम वहा से निकल कर अपने अपने घर को गए।

रात हो गई खाना खाया और खाकर इसके बारे में सोचते हुवे की इस बार मिलेगी तो बात करुगा नाम और घर पूछ लूँगा यही सोचकर जल्दी सो गया नहीं तो लेट हो जाता है उठने में और जल्दी नहीं उठ पाया तो फिर miss कर दूँगा उसे यही सोचकर
जल्दी सो गया।

सुबह हुई उठा रोज की तरह ब्रश दूध पीकर निकल
गया। पर इस बार उल्टा हुआ मै जब जा रहा था तब वो आ रहे थे मेने उसे देखा मन शांत हो गया पर दिमाक में कई तरह से सवाल चल रहे थे ये लोग इतनी जल्दी अभी तो 6 नहीं बजे है । मतलब ये रोज आते है। समय बदल गया है इनका ऐसे ही
वाक करते करते सोचने लगा। और उसे देखकर
हल्की स्माईल भी की वो भी करने लगी पर आज
वो आंटी लोग उसके पीछे थे पर मैने जैसे उनको देखा ही नहीं मेरी नजर तो सिर्फ उसपे ही टिक गई थी ।और इस बार पलटकर नहीं दिखा क्यू की आप सब को अभी बताया कि वो आंटी पीछे थी तो मुझे
पता था मै मुड़ा तो आंटी देखेगी इस कारण नहीं
पल्टा सीधे चला गया उसके बारे में सोचते सोचते
बड़ा अच्छा लग रहा था हवा आज मस्त लग रही थी। सच कहूं तो एक नई ऊर्जा दौड़ गई थी मेरे अंदर तभी मेरी नजर सड़क पर गिरे पायल पर पड़ी और मैने उसे उठा लिया और अपने जेब में डालकर
उस टपरी में चाय पीने चला गया । और उनके आने का इंतिज़ार करने लगा पर वो आये ही नहीं मुझे लगा जैसे उनका घर उस तरफ ही होगा।

फिर मेने वहा से निकला अपने घर की तरफ कदम
बढ़ाये,कुछ 2 किलोमीटर लगभग एक्जेटली तो पता नहीं पर एक अंदाजा इतने ही दूरी पर मैने देखा
वो आंटी लोग कुछ ढूढ़ रहे थे और वो दोनों लड़की
गायब थी वहां नहीं थी वो मैने सोचा जाकर उन आंटी लोगो से पुछू क्या पर हिम्मत नहीं हुई उसमे
से जो एक आंटी थी जो में पलटकर देखता था तो वो देखती थी उसी ने आवाज लगाई बेटा सुनो तो
इधर आओ क्या तुमने आते या जाते वक्त कोई
रोड पर पायल देखी है क्या मै कुछ समझ नहीं
पाया पर फट से ख्याल आया अच्छा तो ये मेरे
जेब में जो पायल है वो उस आंटी के है वो वही
ढूढ़ रही है। और इतने में वो लड़की भी आ गई
यही कही पास में वो पायल ढूढने गई थी तभी
जल्दी आ गई अब मेने उसे देखा वो भी देख
रही थी इस सिचुवेशन में स्माईल भी तो नहीं
कर सकता था न पर उस आंटी से पूछा ये पायल
आप के है तो वो उत्तर दी नहीं बेटा वो मेरे नहीं
है । तभी जो एक और आंटी थी जो पहली दफा
मुझे मुड़कर देखते हुवे पकड़ा था वो उस लड़की
की मम्मी अपनी बेटी को खूब डॉट लगाई
कमीनी को पहनना भी नहीं आता चौथी बार ऐसा
हुआ है हमेशा पायल गुमा देती है। ऐसा कहते वक्त
डॉट रही थी तभी मैने अपने प्यार का नाम जाना
और सुना बार बार शालिनी कहे जा रही थी और कमीनी भी बोले जा रही थी उसकी मम्मी में जब
सब समझ गया था ये पायल उसी के है क्यू की
उसके एक पैर में था पायल और एक में नहीं तभी
मेने अपने जेब से पायल निकाली और उन्हें दे दिया
ध्यान से पहना करो शालिनी और घर से निकलते वक्त एक बार चेक कर लिया करो पायल को की कही उनका नट ठीक से लगा है या नहीं।जब मैने पायल निकाला तो उससे ज्यादा आंटी लोग मेरे से इम्प्रेश हो गए और वो उतना नहीं हुई पर आंटी लोगो के ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं था पुछो मत इतने खुश लग रहे थे ।

तो तीसरी आंटी ने पूछ लिया क्या तुम एक दूसरे
को जानते हो तो मैने नहीं कहा तब चौथी आंटी ने
पूछा तो बेटा जी आप इसका नाम कैसे जानते हो
क्या आंटी आप लोग भी न अभी अभी तो शालिनी कमीनी बोलकर डॉट लगा रहे थे तो वही सुन कर मुझे लगा इसका नाम शालिनी होगा इस लिये नाम लेकर बोला अच्छा तो ये बात है ऐसा एक आंटी ने कहा और में हँस पड़ा और वो शालिनी भी हँस पड़ी

फिर सब मेरा धन्यवाद् किये और मैंने सब को बाय
किया और शालिनी को स्पेशली बाय शालिनी बोला और ख़ुशी ख़ुशी घर की तरफ बढ़ने लगा।

पर कहते है न प्यार हो जाये तो अच्छा खासा बंदा
पागल हो जाता है मै भी उसके प्यार में पागल हो
गया था पर उसे पता ही नहीं था या फिर सब पता
था । इस बार मुड़कर वो भी देख रही भी और मै भी
पर इस बार मै रूक कर उसे देख रहा था। पर कोई
आंटी आज पलटकर नहीं देखी मुझे अच्छा लगा ।
और जब तक रोड में मोड़ नहीं आ गया या मुझे जब तो वो दिखती रही तब तक रूककर टकटकी
लगा कर उसे देखता गया वो करीबन 6 बार पलटकर देखी आज तो मेरा दिल चाँदी चाँदी
हो गया था। और होगा भी क्यू नहीं आखिर कमाल
तो उसी चाँदी का था जो हमें उनका करीब ले गया
नाम बताया प्यार के रूबरू होने का वक्त दिया था
उनका दीदार जो कराया था और यह सब उस पायल चाँदी का कमाल था।

अगर ये चाँदी का पायल नहीं खोता तो में कभी उसका नाम ही नहीं जान पाता।और न कभी मै वो हिम्मत जुटा पाता कि चलो बात करू ,क्या नाम है कहा रहती हो, क्या करती हो, वगैरा वगैरा।

पर अब मुझे उसका नाम पता था । और अगले दिन
सुबह उठा निकला मॉर्निंग वॉक पर और आज फिर
वो नहीं दिखी वो दिन गुजर गया ।

फिर अगली रोज भी वो नहीं दिखी ।ऐसा चलता गया पर वो मुझे मिली ही नहीं वो पायल वाले
इंसिटेंट के बाद।

ऐसा मॉर्निंग वॉक करते करते वो पूरा साल बीत गया।

और कोरोना वायरस के कारण lockdown भी
लग गया अब तो मॉर्निंग वॉक जाना भी बंद कर दिया । पर उसकी याद आती थी और जब lockdown लगा था तो घर के छत पर ही वाक
करता था । lockdown खुलने के बाद भी मै
नहीं जाता था अब मॉर्निंग वॉक पर क्यू की मुझे
पता था वो तो अब दिखेगी नहीं क्यू की जब
lockdown खुला था तो मै मार्केट में सब्जी
लेने गया था तो उसे वहा देखा था । और देख
कर थोड़ा रोना भी आया और अश्चर्य चकित
हो गया मतलब सिट्टी पिट्टी गुल हो गई क्या हो
गया क्या बात करू पुछु क्या कब शादी की हो
कुछ तो बाते कर लूं ऐसा मन हो रहा था । पर पता
नहीं वो किसके साथ आई थी वो ही मेरे करीब
आकार मुझे thanks बोलने लगी उसने कहा
मुझे पहचाना मै कैसे भला मना करता उसे की
मै नहीं पहचाना असली बात तो ये थी की मै उसे कभी भुला ही नहीं था मैने कहा अच्छा पायल वाली शालिनी तुम उसने कहा हा जी वही शालिनी उस दिन मम्मी और आंटी थी तो आप को thanks नहीं बोल पाई ।
फिर उसके बाद मेरी शादी हो गई और कभी मौका
नहीं मिला और सोचा भी नहीं था कि ऐसे मुलाकात
होगी में तो आप का नाम भी नहीं पूछ पाई थी ।
फिर मैने अपना नाम विक्की बताया ।और मेरे दिमाक में सारी बाते घूम गई मतलब वो पायल
सगाई के थे जो गुमे थे और जो मुझे मिले थे और
जो 2 दिन वो मार्निग वाक पर नहीं आई थी मतलब उस रोज उनका सगाई था।

उसने lockdown में शादी कर ली थी ।

मेरे सारे अरमान पानी पानी हो गए
दिल में दर्द हुवा आँखे रोने लगी उसने पूछ लिया तुम रो क्यू रहे हो अरे वो आँखों में कुछ चला गया
रों नहीं रहा हूँ । मै क्यू रोऊंगा भला क्या मै तुम से
प्यार करता हूँ जो इस रूप में तुमको देख कर रोना
आएगा या मुझे तकलीफ होगी।

शालिनी ने कहा बस रहने तो एक्टिंग सब समझती हूँ । सब जानती हूँ गधे, डरपोक कही के अभी जो कहा वो सब सच है । मजाक नहीं कर रहे हो तुम पता है

मै तो जैसे चौक गया……

कहाँ है क्या बोल रही हो …

उसने कहाँ वही जो तुमने मजाक में बोला वो सब
सच है न….

मैने हा नहीं हा नहीं करता रह गया ।

उसने मुझसे फिर जो कहा वो सुन कर मेरी आँख से तेज गंगा जमुना बहने लगी उसने मुझसे कहा मै तुमको पसन्द करती थी पर कभी कह नहीं पाई आखिर मै एक लड़की हूं तो मै कैसे तुमसे कहती तुमने तो कभी कुछ पहल भी नहीं की ।

बस और कुछ नहीं कहाँ मैने …
उसने जाते जाते एक बात कही…
अगर शादी नहीं करे हो तो कर लेना ऐसा कहते हुवे
अपने पैर का पायल निकाला और मेरे हाथ में रख
गई कहा इस पायल पर आपका हक़ है रख लो मेरी
याद समझकर plz…. ऐसा उसने कहाँ..

और मुझे उस भीड़-भाड़ वाले मार्किट में पहली दफा उसके शिवाय कोई नहीं दिख रहा था।
मैंने उसे कस कर हग किया और वो भी अपने
सब्जी वाले बैग को नीचे रख कर मेरे गले मिली
इस बार उसके आँखों में भी आँसू थे।

उसने अलविदा लिया मै उसे जाते हुवे देख भी नहीं पाया यह हमारी लास्ट मुलाकात थी।

इस लिए अब मै मॉर्निंग वॉक पर नहीं निकलता
बस घर में ही morning walk कर लेता हूँ।
और उस टपरी में रोज शाम को हम दोस्त जाते है।

रियल लाइफ में प्रेम कहानी का अंत ऐसे ही होता है।

— – –/समाप्त/– – —-

स्वरचित-प्रेमयाद कुमार नवीन
छत्तीसगढ़ – महासमुन्द
14/अगस्त /2021 शनिवार

Language: Hindi
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