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12 Jun 2020 · 3 min read

मैथिली साहित्यकार लालदेव कामत जी की अद्भुत समीक्षा-शैली

फुलपरास विधानसभा क्षेत्र, मधुबनी, बिहार के वरिष्ठ लेखक और कवि श्री लालदेव कामत सर ने मैथिली भाषा में तीन पुस्तकों की समीक्षा सहित मेरी भी समीक्षा कर डाले हैं, समीक्षा ‘बड़ कौतुक व नीक’ है, श्री लालदेव सर के प्रति हृदयश: आभार प्रकट करता हूँ । समीक्षा यह है-

“गणित डायरी (1998) के युवालेखक श्री सदानंद पाल दू दशक धरि अहर्निस भ 67 टा पोथि पत्रिकाक अध्ययन कय हिंदी सहित्य संसारक अक्षय भण्डारकय अपन नव पोथी पूर्वांचल की लोकगाथा गोपीचंद अनमोल कृतिसँ भरलाहअछि। लोक आस्था प्रतीक सारंगि केर उन्नायक गोपीचंद पर लेखककेँ परिवारीक सदस्य सँ सेहो खूब खुराक भेटलैक अछि, पोथी मेँ पूर्वी क्षेत्र साहित्य आकादमी क्षेत्रिय सचिव डॉ. देवेन्द्र कुमार देवेश जीक लिखल भूमिका मेँ प्रेमार्पण झलकैत छैक, आ पोथीम शामिल 8 टा पाठमें पाठक लेल नीक उर्जास्रोत भेंटत छैक ,बावजूद पालजी आग्रह वश लेखकीय निबेदनमेँ पाठक लेल अपन गप कहैत समीक्षाक हेतू सेहो एकटा उदगार व्यक्त करैत भारतरत्न अटल बिहारी वाजपेयी जीक पातींसँ–

‘आहुति बाकी, यज्ञ अधूरा
सपनों के विघ्नों ने घेरा
अंतिम जय का वज्र बनाने
नव दधीचि हड्डियां गलाए
आओ फिर से दीया जलाएं ।’

भाव धारा केँ प्रवाहित केलाह अछि । गोपीचंद ऊर्फ गोपीचन्दपर विस्तृत शोध लेखन हेतु संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार लेखक केँ फ़ेलोशिप (2007-08) प्रदान केनें छैक । आओर गोपीचन्द पर नव प्रतिमान लैत पैघ कविता पांडुलिपि परकाशन अनुदार्थ स्वीकृति (वर्ष 2015) मेँ मन्त्री मंडल सचिवालय (राजभाषा विभाग) बिहार सरकार छरि उद्यत भेला रहैय ,प्रस्तुति पोथी मे पाठमै पाठककेँ 152 टा दोहा तुकबन्दी भेटत संगहि ड़ेढसय शब्दक अर्थ पन्नाक (कविताक) क्रमांक 152 गोट बुझायल गेल छैक, जकर मिलान करैत सुलभ ढंगे पाठक वर्ग सहज होइसँ बाँचत किताब में नव आयाम जे जोरल गेल छैक ओ गीतांजलि प्रणेता विश्वकवि रवीन्द्रनाथ नाथ ठाकुरजीक दृष्टिमेँ (बाउल गान) जेकर गीतांजलिमें प्रकाशित हिन्दी अनुदित गीतक भाव देलगेल छैक। टिशनभासी लोकसभ लगजे सारँगी तान केर महौत छैक। पूर्वोत्तर राज्य में, सयह नेपालमें धुन्ना आ बंगालमे बाउल गान पूर्वाचल पट्टीमे अभिहित छैक।

एहि पोथीक लेखक अपन बाबा स्मृतिशेष योगेश्वर प्रसाद जी के सादर समर्पित केयने छथि जे महर्षि मेंहीँ बाबा क शिष्य छलाह आ स्वाधीनता सेनानी सेहो रहल छलाह, लेखक श्री पाल साहब नव युवके वहिक्रम मे सत्संग -योग (चारिभाग) मे महर्षि मेंहीँ पदावली समीक्षा लिख चुकल छथि जे पद प्रस्तुत पोथी में द्रष्टव्य भेटत। संगहि लोकगीतकार रामश्रेष्ठ दिवानाक फक्कड़ योगी ‘ गोपीचंद ‘ के मारे पूर्वाचली 17 गोट पद पंक्तिबद्ध भेल छैक आओर दोसा कवयित्री स्वर्णलता ‘विश्वफूल’ लेल एहि तरहेँ पाँति अछि–

‘शायर की बिहार सौंपकर तुझे
तान छेड़ेगी उल्फ़त की गली में तेरी
अपने दर्द बयाँ को धुन-धुनकर
मेरी सजनी की अटरिया में छुम छुमकर।’

एहि तरहे पद में लेखकक बहिन सुप्रसिद्ध कवयित्री स्वर्णलता ‘विश्वफूल’ केर तँ तीन गोट लोकगाथा-काव्य अवलोकन करबामे आओत दोसर बहिन अर्चना कुमारी जे केंद्रीय सूचना आयोग में वाद दायर करय वाली पहिल महिला थीकिह, सेहो एहि पोथी लेल काज केने छथि।

गद्य मे पूर्व डाककर्मी श्रुति लेखक काली प्रसाद पाल जीक रचना धार्मिकता सँ सेहो दर्शन पायब जे लेखक केर अनुवांशिक पिता तँ छथिये जे लिम्का बुक आँट रिकार्ड होल्डर सेहो छथि। हुनका अहमदाबाद में किशोरी गोस्वामी जी आ सुखसागर गोस्वामी जी गाथा सुनने रहैक।

भारत मे प्राचीन सभ्यता आ विविध संस्कृतिक 5000 बरख पुरान इतिहास रहलैक अछि। जाति मे मानय पड़त जे कतेको धर्म क सम्प्रदाय आ जाति-उपजाति एक संग समाज मे एहि समन्यवय करैत ऋतु मौसम मिज़ाज आ जलवायु विविधा केँ जीबैत भौगैत 21वीं सदी मे एकताबद्ध छैक। तकर मूलतः कारण छैक मिथिलांचल क लोकजीवन विशेष कर कोशी नदी कातक निवासी जे लोकगाथा केँ संयोगने अछि, से छी माँ शारदे वीणा सँ समकक्ष वाद्य यंत्र शारंगी जे धोना बजावय वाला जोगी अपना घर सँ त्रिया लटारहम सँ फराक भए गुरु गोरखनाथ आ भरथरी हरि आओर गोपीचंद केर कर्म योग क दर्शन गामेगाम प्रदर्शन करैत जनभाषा के लोक गाथा गावि जाया कें रखने छैक एहिपर वृहत गवेषणात्मक अध्ययन आगु हुअय ताहि लेल जीनियस सदानंद जी अपन अभिक्रम सँ डेग आँगू बढा देँलन्ति अछि।

मधुबनी पेंटिंग सँ गुदरी बाबा जीक कलाकृति देखैत बनत आ सरहवादक जन्मभूमि सहरसा क माटि- पानि जे रसल बसल गोपीचंद नाच, गोपीचंद गाथा, लोकगीत आ गोपीचन नाथ उर्फ़ राजा गोविंद चन्द्र पाल केर लोक कथा सुनल जाइछ सँ मैथिली आ अंगिका मिश्रित अपभ्रंश वाणी छैक। पूर्वाचल केर मानचित्र बनल एहि पोथी मे अछि, जतय पूर्वाचली लोकभाषा कतेकौ राज्यक मिजहर सँ बनैत बाजल जाई छैक, तकर प्रमाणिकता ताकूत करय पड़त ।एहि पोथी मे समस्त हिंदीक स्थापित साहित्यकार क सरोकार केँ चिन्हेबा मे लेखक सफल भेलाह अछि। तँ ई पोथी पुस्तकालय हेतु संग्रहणीय थीं। बहुतोराश राज्य केर परिभ्रमण करैत लेखक परिपक्व छथि आ अपन अनुभव केर सहकार परोसलनि अति । पोथी अनेको संस्करण सालेसाल हुअय से आशा करैत मंगल कामना करैत छी।”

Language: Hindi
Tag: लेख
2 Comments · 827 Views
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