मैं हूँ कुतुबमीनार
जश्न मनाते है हम
आज घर से कुतुबमीनार आकर
आवाज़ तो आयी है कि देखो
मीनार की ख़ामोशियों को
कैसे खड़ी है इंतजार में
कुछ सोचकर ही कि कभी तो
चुप्पी को तोडेगा ओर मुझ पर
कुछ लिखेगा मेरे दर्द को समझेगा
कि मै एक मीनार हूँ चुप खड़ी देख
रही हूँ इंसानों को पीढ़ी दर पीढ़ी
बदलते हुए ,खुदगर्ज होते हुए
कब से यूं ही खड़ी देख रही हूं
पीढ़ी दर पीढ़ी बदलते हुए
मैं हूँ मीनार…
कुतुबमीनार..