मैं संस्कार हूँ
मैं संस्कार हूँ,
धर्म अधर्म समाहित मुझमें
मैं ज्ञान रुपी भंडार हूँ ।
मैं संस्कार हूँ।।
पाप पूण्य श्री गणेश हमीं से
मैं जीवन तत्व प्रधान हूँ।
मैं संस्कार हूँ ।।
जप तप योग ध्यान है मुझमें
तपोबल का भंडार हूँ ।
मैं संस्कार हूँ।।
विद्या धन बुद्धि का रक्षक
मेधावी का सम्मान हूँ।
मैं संस्कार हूँ।।
संसारिक संरचना मुझसे
मैं रिस्तों का आधार हूँ।
मैं संस्कार हूँ।।
सत्य असत्य हमीं से जानो
मैं शून्य हूँ ब्रह्मांड हूँ।
मैं संस्कार हूँ।
©®पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
9560335952