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9 Dec 2016 · 1 min read

मैं लिखता हूँ तुम्हारी खातिर,

मैं लिखता हूँ तुम्हारी खातिर,
तुम जान हो मेरी,
मैं शायर हूँ तो क्या,
तुम पहचान हो मेरी,
सहर तुम्हारी याद से होती है,
तुम ही शाम हो मेरी,
तुमसे मुलाकात हो तो कोई प्यास नही होती,
तुम जान हो मेरी,
“साहिब” कोई लूट ना जाए हुमको,
तुम ही आन हो मेरी,

Language: Hindi
265 Views
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