मैं महफ़िल में तन्हा हूँ।
मै महफ़िल मे तन्हा हूँ
मै महफिल मे तन्हा हूँ,
बिन प्यार के बिन यार के मैं कितनी बेबश हूँ ।
दिल तोड़ा है यार ने मेरा
भरी महफ़िल में ग़मगीन पलकें लिए खड़ी हूँ।
यार की बेवफाई की मारी हूँ
आज में कितनी महफ़िल में तन्हा हूँ।।।
पल में मिटा दी मेरी मोहब्बत को उसने
आज में अपने ही दिल से हारी हूँ।
प्यार मिलता है खुशनशीब वालो को
मैं मेरी ही बदनशीबी की मारी हूँ।
दर्द ही दर्द है अब तो मेरे सीने में,
मैं भरी महफ़िल में कितनी अधूरी हूँ।।।।।।।
रचनाकार गायत्री सोनू जैन
सहायक अध्यापिका मन्दसौर
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