मैं पृथ्वी का दिल हूं क्या यही मेरी आजादी है
मैं पृथ्वी का दिल हूं , क्या यही मेरी आजादी है .
अब ना कोई सोन चिरैया , अब तो सब बर्बाद ही है .
मैं पृथ्वी का दिल हूं ….
कोई भी आतंकी , मेरी सीमा में घुस जाता है .
और मेरी छाती पर , चढ़कर कोहराम मचाता है .
नेताओं को बस चिंता है , वोटबैंक मतदान की .
बीच सड़क पर लाश टंगी है , देखो आज किसान की .
अब ना कोई राजगुरु , ना भगतसिंह ना गांधी है .
मैं पृथ्वी का …..
घोटालों के कारण सीना मेरा , कटा कटा सा लगता है .
जातिवाद और आरक्षण के चलते , मेरा अंग बटा सा लगता है .
आंचल खुदा माता का , जो जननी से बढ़कर माता है .
कुचल रहे उस बंधन को , जो मामा भांजे का नाता है .
छलनी कर नदियों का आंचल , मल्हम ढोंग लगाता है
हरयुग में छला है मामा ने , वह आज समझ में आता है
तुम प्रहरी और जनता बहरी , बस यही सोच इतराते हो
मात नर्मदा खोद रहे तुम , कानून अपना चलाते हो .
चंद भेड़िए गिनती के , और सवा अरब आबादी है .
मैं पृथ्वी का दिल हूं …….
आरक्षण को खत्म करो , और हरियाली का गठन करो.
जो बात कही है मैंने , उस बात पर यारों मनन करो .
हरी-भरी हो धरती सुनहरी , कल कल जल की धारा हो
साफ स्वच्छ हो धोरी हवा की , यह देश ही सबसे प्यारा हो .
जो भी जनता का हक मारे , सब मिले उसका दामन करो .
प्रेम प्रेम की बात हो यारों , चैन शांति अमन करो.
चैन शांति से जियो सभी , तब सब गांधीवादी है .
मैं पृथ्वी का दिल हूं , बस यही मेरी आजादी है..