मैं पागल दीवाना हूँ….
मैं पागल दीवाना हूँ
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हौंसला ले दिल में यार,मंज़िलें पाने चला हूँ।
मैं पागल दीवाना हूँ,ग़म को हराने चला हूँ।।
पथ मेंं काँटें बिछे मगर,ये क़दम रुक नहीं सकते।
आँधियाँ रोकेंगी डगर,मगर हम झुक नहीं सकते।
जय का शेहरा बाँध मैं,ख़ुशियाँ लुभाने चला हूँ।
मैं पागल दीवाना हूँ,……………………………..।
इन उम्मीदों के गुलशन में,बहारें झूम आती हैं।
अगर इश्क़ सच्चा हो तो,चाहतें चूम आती हैं।
मुहब्बत के सफ़र में मैं,गाता तराने चला हूँ।
मैं पागल दीवाना हूँ,………………………….।
बहरों के शहर में आज,नग़में किसे सुनाऊँ मैं।
अँधे स्वार्थ में हुए लोग,दर्पण किसे दिखाऊँ मैं।
उन सोयों को फिर से मैं,देखो जगाने चला हूँ।
मैं पागल दीवाना हूँ,……………………………।
हौंसला ले दिल में यार,मंज़िलें पाने चला हूँ।
मैं पागल दीवाना हूँ,ग़म को हराने चला हूँ।।
आर.एस.बी.प्रीतम
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माप…14——–14