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6 Jun 2018 · 1 min read

मैं परेशान हूँ

मैं परेशान हूँ

मैं परेशान हूँ इस मुल्क की सियासत से
लाभ जिनको मिलना है उनको मिलता नहीं।।

महलो बाले झोपढी बना रहे,
झोपढी बाले तरसे आशियाने को

मैं परेशान हूं इस मुल्क की सियासत से।।
सियासत जख्म बांट रही है सड़कों पर
लोग तरस रहे हैं दाने दाने को।।

मैं परेशान हूँ इस मुल्क की सियासत से।।

कोई रहनुमा बनके लूट रहा है खजानों को
और जनता तरस रहीं हैं अपना हक पाने को।।
मैं परेशान हूँ इस मुल्क की सियासत से……..

अखि….. अखिलेश मेहरा

Language: Hindi
1 Like · 416 Views
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