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27 May 2017 · 1 min read

मैं जाऊं कहाँ…..

सोचता हूँ कभी कभी….

बचपन में…वो हमारा मोहल्ला था
और वे थी हमारे मोहल्ले की सडकें
सडकें भी कहाँ?
पगडंडियाँ!
टूटी फ़ूटी, उबर ख़ाबर
पर उन पर चल कर हम
न जाने कहाँ कहाँ पहुँच जाते थे
दोस्तों , रिश्तेदारो , नातेदारों
और न जाने किनके किनके घरों तक

अब यहाँ की सडकें बहुत सुन्दर है
चौडी चौडी, एक दम चिकनी
मगर इन पर चल कर
मैं जाऊं कहाँ

Language: Hindi
2 Likes · 556 Views
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