मैं जब भी पुकारूँ
मैं जब भी पुकारूँ
मैं तुम्हें जब भी पुकारूं तुम चले आना
हाथ में तुम्हारे एक बंशी हो कान्हा
मैं तुम्हें जब भी पुकारूं तुम चले आना
तेरा हर एक रूप सलोना लागे मुझको
में जब भी याद करूं तुम दौड़कर चले आना
मैं तुम्हें जब भी पुकारूं तुम चले आना
तुम हो लगते माया से परे मुझको
जब भी मैं राह से भटकूँ , आकर मुझको राह दिखा जाना
मैं तुम्हें जब भी पुकारूं तुम चले आना
तेरी छवि , तेरा रूप है भाये है मुझको
मेरे मन में आस्था जगा जाना
मैं तुम्हें जब भी पुकारूं तुम चले आना
तेरे उपकार हैं बहुत से मुझ पर
अपनी कृपा का प्रसाद दे जाना
मैं तुम्हें जब भी पुकारूं तुम चले आना
दुर्बल को बल दे दो प्रभु
अपने स्नेह की अनुकम्पा दिखा जाना
मैं तुम्हें जब भी पुकारूं तुम चले आना
अपने अनुपम स्वरूप के दर्शन से
दुखियों के कष्ट मिटा जाना
मैं तुम्हें जब भी पुकारूं तुम चले आना
हाथ में तुम्हारे एक बंशी हो कान्हा