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28 Jun 2021 · 1 min read

मैं कुछ ऐसे

शीर्षक:मैं कुछ ऐसे

मैं कुछ ऐसे…
अपनी जिंदगी के पल पल
का हिसाब कर देती हूँ
दुनियां से मिली पीड़ा को
मैं अपनी लेखनी से लिख लेती हूँ।
मैं कुछ ऐसे…
माँ के अंतर्मन की पीड़ा को
माँ चेहरे की पीड़ा को
उसकी सारी मनःस्थिति को
मैं अपनी लेखनी से लिख लेती हूँ।
मैं कुछ ऐसे…
अपनी तरक्की को सोच कर भी
अपने पाँव जमीन पर ही रखती हूँ
मैं पतंग सी ऊंची उड़ान तो उड़ती हूँ
लेखनी से खुद को जमी से जोड़ती हूँ।
मैं कुछ ऐसे…
अपने जीवन की गाथा लिख देती हूँ
हर घटना पर कलम को धार देती हूँ
लोगो की तिरछी नजर भी सह लेती हूँ
पर लेखनी से समझौता नही करती हूँ।
मैं कुछ ऐसे…
कोशिश पूरी करती हूँ मंजिलें मिले मुझे भी
पर रास्ता सीधा सा ही पकड़ती हूँ
कोई छल करे ये सहती नहीं हूँ
अपनी लेखनी से छल नही करती हूँ।

डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद
घोषणा:स्वरचित

Language: Hindi
1 Like · 207 Views
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