Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Oct 2016 · 1 min read

मैं कवयित्री नहीं हूँ

………………..मैं कवयित्री नहीं हूँ…………………

मैं कोई कवयित्री नहीं हूँ अरे मैं कोई कवयित्री नहीं हूँ
कवयित्री की कलम तो निस्वार्थ भाव से चलती है
सोये हुए इंसानों को जगाकर उनमें नई जान फूंकती है
पर मैं तो सच में स्वार्थभाव से लिखती रहती हूँ कुछ कुछ
कभी श्रृंगार रस में तो कभी प्रेमरस में गढ़ती रहती हूँ कुछ कुछ
कुछ लोगों के भूरी भूरी प्रशंसा करने से खुश हो जाती हूँ मैं
इस झूठी प्रशंसा से ही खुद को स्वार्थ में डुबो जाती हूँ मैं
भूल कर अपने धर्म को महज वाहवाही लूटने को कलम चलाती हूँ
लिख चंद अल्फाज रस भरे मैं लोगों की वाहवाही लूट पाती हूँ
अपने को कवयित्री कहने में झिझक महसूस करने लगी हूँ
सच कहूँ अपने बनावटीपन से मैं अब खुद ही अखरने लगी हूँ
बहुत हुआ अब अपने लक्ष्य से नहीं भटकना है मुझे
दूसरों को जगाने के लिए पहले खुद जगना है मुझे
अब हर लम्हा जिंदगी का लेखन को समर्पित करना होगा
फूंक नई जान दूसरों का दामन भी खुशियों से भरना होगा
सुलक्षणा इतिहास रचना है दिन का चैन रातों की नींद गवाँनी होगी
जलाकर चूल्हा हर रोज चंद घरों में दो वक़्त की रोटी खानी होगी

Language: Hindi
1 Like · 677 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
* करते कपट फरेब *
* करते कपट फरेब *
surenderpal vaidya
समय यात्रा: मिथक या वास्तविकता?
समय यात्रा: मिथक या वास्तविकता?
Shyam Sundar Subramanian
3000.*पूर्णिका*
3000.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
धरती ने जलवाष्पों को आसमान तक संदेश भिजवाया
धरती ने जलवाष्पों को आसमान तक संदेश भिजवाया
ruby kumari
हासिल नहीं था
हासिल नहीं था
Dr fauzia Naseem shad
"जिन्दगी में"
Dr. Kishan tandon kranti
चाहत है बहुत उनसे कहने में डर लगता हैं
चाहत है बहुत उनसे कहने में डर लगता हैं
Jitendra Chhonkar
*हम विफल लोग है*
*हम विफल लोग है*
पूर्वार्थ
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Fuzail Sardhanvi
इस जमाने जंग को,
इस जमाने जंग को,
Dr. Man Mohan Krishna
आज की बेटियां
आज की बेटियां
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
दोहा
दोहा
दुष्यन्त 'बाबा'
शुम प्रभात मित्रो !
शुम प्रभात मित्रो !
Mahesh Jain 'Jyoti'
बहाव के विरुद्ध कश्ती वही चला पाते जिनका हौसला अंबर की तरह ब
बहाव के विरुद्ध कश्ती वही चला पाते जिनका हौसला अंबर की तरह ब
Dr.Priya Soni Khare
*भीड बहुत है लोग नहीं दिखते* ( 11 of 25 )
*भीड बहुत है लोग नहीं दिखते* ( 11 of 25 )
Kshma Urmila
"ज़हन के पास हो कर भी जो दिल से दूर होते हैं।
*Author प्रणय प्रभात*
*फागुन कह रहा मन से( गीत)*
*फागुन कह रहा मन से( गीत)*
Ravi Prakash
गीत गा रहा फागुन
गीत गा रहा फागुन
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
मैं मधुर भाषा हिन्दी
मैं मधुर भाषा हिन्दी
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
💐प्रेम कौतुक-235💐
💐प्रेम कौतुक-235💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
बसंत
बसंत
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
दशरथ माँझी संग हाइकु / मुसाफ़िर बैठा
दशरथ माँझी संग हाइकु / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
कितना कोलाहल
कितना कोलाहल
Bodhisatva kastooriya
इसरो का आदित्य
इसरो का आदित्य
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
हमें भी जिंदगी में रंग भरने का जुनून था
हमें भी जिंदगी में रंग भरने का जुनून था
VINOD CHAUHAN
उम्मीद ....
उम्मीद ....
sushil sarna
আজ চারপাশ টা কেমন নিরব হয়ে আছে
আজ চারপাশ টা কেমন নিরব হয়ে আছে
नव लेखिका
इन्द्रिय जनित ज्ञान सब नश्वर, माया जनित सदा छलता है ।
इन्द्रिय जनित ज्ञान सब नश्वर, माया जनित सदा छलता है ।
लक्ष्मी सिंह
क्यों दोष देते हो
क्यों दोष देते हो
Suryakant Dwivedi
परिवर्तन विकास बेशुमार
परिवर्तन विकास बेशुमार
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
Loading...