Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Feb 2020 · 1 min read

मैं और मेरी तन्हाई

मैं व्यर्थ यूँ ही दौड़ती रही
अनजानों की भीड़ में
समझकर बेगानों को अपना
आँख खुली जब उलझ गयीं
अंतर्मन की पीड़ा सस्वर
बंधनों से निस्तारण में ।

वाचन और वचन में बंधकर
खुद को भी जब भूल गयी
सहसा लगे एक तीर से छलकर
बदल गया स्वर भी करुणा क्रंदन में ।

आँखों के आँसू मन के भाव
जाने कोई क्यों न समझ पाता
किसको समझाऊँ व्यथा मैं
अपनी सभी घिरे हैं अल छल में ।

खुशबू से महका जब भी मन
लगता था हाथ कोई बढ़ायेगा
टूटे हुए फूलों को जैसे आकर
कोई गजरे में अपने सजायेगा ।

भीग गया जब बाल सुलभ मन
द्रवित हुआ जैसे फिर से सावन
बूँदों से मन भी आनंदित हो गया
बिखर गए अकिंचन खुशियों के पल
बाँधकर जैसे अद्भुत सम्मोहन में।
वर्षा वार्ष्णेय अलीगढ़

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 343 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
वतन के तराने
वतन के तराने
डॉ०छोटेलाल सिंह 'मनमीत'
बेवफाई करके भी वह वफा की उम्मीद करते हैं
बेवफाई करके भी वह वफा की उम्मीद करते हैं
Anand Kumar
23/31.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/31.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
रिश्ता ऐसा हो,
रिश्ता ऐसा हो,
लक्ष्मी सिंह
।।अथ सत्यनारायण व्रत कथा पंचम अध्याय।।
।।अथ सत्यनारायण व्रत कथा पंचम अध्याय।।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
फ़ितरत नहीं बदलनी थी ।
फ़ितरत नहीं बदलनी थी ।
Buddha Prakash
यदि मन में हो संकल्प अडिग
यदि मन में हो संकल्प अडिग
महेश चन्द्र त्रिपाठी
अफसोस-कविता
अफसोस-कविता
Shyam Pandey
ॐ
Prakash Chandra
राष्ट्र निर्माता गुरु
राष्ट्र निर्माता गुरु
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
हैप्पी प्रॉमिस डे
हैप्पी प्रॉमिस डे
gurudeenverma198
गुरु पूर्णिमा
गुरु पूर्णिमा
Radhakishan R. Mundhra
माना की देशकाल, परिस्थितियाँ बदलेंगी,
माना की देशकाल, परिस्थितियाँ बदलेंगी,
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
■ कविता-
■ कविता-
*Author प्रणय प्रभात*
जो लोग ये कहते हैं कि सारे काम सरकार नहीं कर सकती, कुछ कार्य
जो लोग ये कहते हैं कि सारे काम सरकार नहीं कर सकती, कुछ कार्य
Dr. Man Mohan Krishna
नन्ही परी चिया
नन्ही परी चिया
Dr Archana Gupta
गुलाब
गुलाब
Satyaveer vaishnav
तुम गंगा की अल्हड़ धारा
तुम गंगा की अल्हड़ धारा
Sahil Ahmad
सुप्रभात
सुप्रभात
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
आपने खो दिया अगर खुद को
आपने खो दिया अगर खुद को
Dr fauzia Naseem shad
"पानी-पूरी"
Dr. Kishan tandon kranti
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
* चान्दनी में मन *
* चान्दनी में मन *
surenderpal vaidya
🌺आलस्य🌺
🌺आलस्य🌺
सुरेश अजगल्ले 'इन्द्र '
आज के रिश्ते
आज के रिश्ते
पूर्वार्थ
कहना तुम ख़ुद से कि तुमसे बेहतर यहां तुम्हें कोई नहीं जानता,
कहना तुम ख़ुद से कि तुमसे बेहतर यहां तुम्हें कोई नहीं जानता,
Rekha khichi
रमेशराज के दो मुक्तक
रमेशराज के दो मुक्तक
कवि रमेशराज
झोली फैलाए शामों सहर
झोली फैलाए शामों सहर
नूरफातिमा खातून नूरी
*रावण का दुख 【कुंडलिया】*
*रावण का दुख 【कुंडलिया】*
Ravi Prakash
जीवन
जीवन
Bodhisatva kastooriya
Loading...