मैं अनुगामी उस पथ का हूं
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मैं अनुगामी उस पथ का हूं,
जिससे मार्ग निकलते हल के।
राहें स्वत:सरल हो जातीं,
कंटक सब मिट जाते पथ के।
यूं तो कष्ट बहुत हैं जग में,
रोड़े और खार हैं पग में।
मावस की अंधियारा छंटकर,
आता है उजियारा जग में।
मानव हित में कर्म करें हम,
नहीं बनें पथगामी फल के।
मिली बुद्ध की मुझे विरासत,
राम कृष्ण का अनुयाई हूं।
जग का हो कल्याण कष्ट से,
रावण का भी मैं भाई हूं।
देख रहा हूं क्रंदन कल के।
मैं गांधी का ही वंशज हूं।
राष्ट्र प्रेम का उडता ध्वज हूं।
राह विश्व को सदा दिखाई,
सकल विश्व का मै ही कल हूं।
तोड़े हैं सब बंधन छल के।
लेकिन आंख दिखायी जिसने,
हमने उसका भ्रम हैं तोड़ा।
जिसने प्यार दिखाया हमसे,
मुंह का उसे निवाला छोड़ा।
बांटा है संदेश सदा ही,
सभी बंधु हैं नभ जल थल के।