मैंने दो रस पीने वाले को देखा ।
मैं देख रहा दो रस पी को ।
एक पीकर लेता झपकी को ।
एक पड़ा पंक गंदी नाली ।
एक पीकर था पंकज डाली ।
एक पीकर पाता गाली को ।
एक पीकर लेता ताली को ।
एक पीकर पड़ा हुआ नंगा ।
पट पीट एक पीकर रंगा ।
एक पीकर था मदहोश नहीं ।
पंकज दल पर मृदु गाता था ।
एक पंक प्रदूषित नाली में ।
मदहोश पड़ा गुर्राता था ।
अंतर इतना बस देव मनि ।
एक था मनुष्य एक मधुकर था ।