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19 Jan 2017 · 1 min read

” ———————————————मैंने कहा दुआ आई ” !!

माँ के पोपले, मुंह से यों हवा आई /
लोग हँसते रहे,मैंने कहा दुआ आई //

कच्ची दीवारें थी ,अब इमारत है खड़ी /
माँ की मेहनत , क्या अजब रंग लाई //

धोंकनी ,धुआं ,थी माथे पे सिलवटें /
माँ जवानी में ही ,बुढ़ापा उठा लाई //

मुश्किलें थीं , तंग राहें , छोर न था /
माँ के होंसले थे , हमने मंजिल पाई //

मैला आँचल , माँ की गोद का असर था /
करवट बदल कर ज़िन्दगी, खुशियाँ लाई //

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