मेहनत
पथ थे कितने दुर्गम,
चलता गया लेकर गम,
मुश्किल थी मेरी राह,
साथ थी उनकी एक चाह,
पैरों में चुभते थे शूल,
पर चाहत थी मेरी फूल,
रोज आती थी निशा,
लेकर एक नूतन आशा,
बढ़ता गया विश्वास,
आती गयी मंजिल पास,
मेहनत जाती न बेकार,
लेती हैं जीत का आकार,
।।।जेपीएल।।।