मेरे सपनो का भारत
मेरे नयन देखे दिन रात एक ही सपना ,
नित खुशियां हों मेरे देश के अंगना ।
चहुं ओर विकास के साथ सुख शांति हो ,
चाहे हर कोई प्रेम की डोर में बंधना ।
ना धार्मिक उन्माद न जाति,रंग ,
नस्ल क्षेत्र और भाषा का भेद भाव ।
हर कोई बस इंसान के रूप में जाए पहचाना ।
सब के दिलों में हो प्रेम का भाव ।
नारी जाति और उनके अधिकारों का सम्मान ,
इंसान समझकर दिया जाए पुरुषों के बराबर स्थान।
उनके सम्मान और जीवन सुरक्षा हेतु ,
सख्त से सख्त कानून और उसका हो कानून पालन ।
पर्यावरण और विकास का हो सुन्दर ताल मेल ,
विकास के लिए अंधे और लालची होकर ,
ना किया जाए अनावश्यक दोहन ।
रक्षा करे पर्यावरण की तत्पर होकर ।
देश सुरक्षित रहे और है भी
हमारे फौजी भाइयों की बदौलत ।
और किसान कर्तव्यबध हो अन्न उगाने को ,
देश का हर नागरिक बने देश की ताकत।
भारत वर्ष की नई पीढ़ी हो संस्कारी ,
कर्तव्यबद्ध ,सुशील और आज्ञाकारी ।
चूंकि ये है देश की भावी भविष्य ,
इनको देखती है दुनिया सारी ।
मेरे देश में विकास के साथ साथ ,
शिक्षा ,संस्कार ,संस्कृति और
सभ्यता का सुन्दर संयोजन ।
मानवता और मानवीय मूल्य ,
अपनाकर हो जाए धरती स्वर्ग के समान ।
मेरा देश बाहरी और आंतरिक ,
रूप से से हो पूर्णतः सुरक्षित ।
ना कोई भय ,ना आतंक न कोई चिंता फिक्र ,
हर नागरिक का जीवन को आनंदित ।
मेरे देश की सरकार हो सर्वथा निपूर्ण ,
कार्यकुशल और ईमानदार ।
और कर्तव्य बध्यता में निष्ठावान,
और जीवन में हो सदाचार।
बस यही है सपना और एकमात्र अभिलाषा ,
गर पूर्ण कर दे तू परमात्मा ।
मैं भारत की नागरिक बनूं ,
चाहे कोई भी ,कभी भी जन्म ले मेरी आत्मा ।