Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Dec 2016 · 1 min read

-: मेरे महबूब तुम सदा मुस्कुराना :-

मेरे महबूब मुझे न भुलाना,
ख़ुशी हो या गम सदा मुस्कुराना,
उस परिंदे के हाथो भेजेंगे ख़त,
जिसे भूल गया हो जमाना,

मेरे महबूब तुम सदा मुस्कुराना……..

तुमको देखकर हम भी मुस्कुराएंगे,
तुम बैठकर सुनना हम ग़ज़ल सुनायेंगे,
हम हर बात पुरानी याद कराते है,
तुम हमको याद दिलाना,

मेरे महबूब तुम सदा मुस्कुराना……..

जमाने की एक दिवार है,
इश्क पे चली हमेशा तलवार है,
इस बात को तुम समझ लो,
है चार पल का ये दोस्ताना,

मेरे महबूब तुम सदा मुस्कुराना……..

दुनिया का है इतना फसाना,
हमको तो है एक रोज़ जाना,
चले जाएगे हम तसल्ली से,
मगर तुम अश्क न बहाना,

मेरे महबूब तुम सदा मुस्कुराना……..

तुम अपने आप को संभालो,
हम खुद को संभालेगे,
तुम गर कहो तो,
हम खुद को मिटा देंगे,
पछतायेगा फिर, ज़ालिम जमाना,

मेरे महबूब तुम सदा मुस्कुराना……..

Language: Hindi
Tag: गीत
192 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
बारिश की मस्ती
बारिश की मस्ती
Shaily
मुस्कान
मुस्कान
Neeraj Agarwal
अलविदा ज़िंदगी से
अलविदा ज़िंदगी से
Dr fauzia Naseem shad
स्वप्न ....
स्वप्न ....
sushil sarna
तेवरी का सौन्दर्य-बोध +रमेशराज
तेवरी का सौन्दर्य-बोध +रमेशराज
कवि रमेशराज
कोरोना - इफेक्ट
कोरोना - इफेक्ट
Kanchan Khanna
लहरों पर चलता जीवन
लहरों पर चलता जीवन
मनोज कर्ण
कांटा
कांटा
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Shweta Soni
काश.! मैं वृक्ष होता
काश.! मैं वृक्ष होता
Dr. Mulla Adam Ali
पुरखों की याद🙏🙏
पुरखों की याद🙏🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
'प्रहरी' बढ़ता  दंभ  है, जितना  बढ़ता  नोट
'प्रहरी' बढ़ता दंभ है, जितना बढ़ता नोट
Anil Mishra Prahari
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
■ 5 साल में 1 बार पधारो बस।।
■ 5 साल में 1 बार पधारो बस।।
*Author प्रणय प्रभात*
You know ,
You know ,
Sakshi Tripathi
💐प्रेम कौतुक-406💐
💐प्रेम कौतुक-406💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
जय माँ जगदंबे 🙏
जय माँ जगदंबे 🙏
डॉ.सीमा अग्रवाल
पापा की तो बस यही परिभाषा हैं
पापा की तो बस यही परिभाषा हैं
Dr Manju Saini
सर्वप्रिय श्री अख्तर अली खाँ
सर्वप्रिय श्री अख्तर अली खाँ
Ravi Prakash
बिछ गई चौसर चौबीस की,सज गई मैदान-ए-जंग
बिछ गई चौसर चौबीस की,सज गई मैदान-ए-जंग
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
मुसाफिर हैं जहां में तो चलो इक काम करते हैं
मुसाफिर हैं जहां में तो चलो इक काम करते हैं
Mahesh Tiwari 'Ayan'
जानें क्युँ अधूरी सी लगती है जिंदगी.
जानें क्युँ अधूरी सी लगती है जिंदगी.
शेखर सिंह
23/190.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/190.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मेरे हमसफ़र ...
मेरे हमसफ़र ...
हिमांशु Kulshrestha
सनम
सनम
Satish Srijan
मुझे हर वो बच्चा अच्छा लगता है जो अपनी मां की फ़िक्र करता है
मुझे हर वो बच्चा अच्छा लगता है जो अपनी मां की फ़िक्र करता है
Mamta Singh Devaa
इक तमन्ना थी
इक तमन्ना थी
Dr. Pradeep Kumar Sharma
तुमने देखा ही नहीं
तुमने देखा ही नहीं
Surinder blackpen
Loading...