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21 Sep 2017 · 2 min read

मेरे भी हाथों में ए. के.

मेरे भी हाथों में ए. के.

असली गद्दारों को जानो, और कड़ा बर्ताव करो।
निर्दोषों की रक्षा भी हो, जनगण से समभाव रखो।।

बारूदों के ढेर पे दुनिया, क्यों करती है नौटँकी।
सबके हाथों में बन्दूक है, सब कहते तुम आतंकी।।

स्वार्थ अर्थ को व्यर्थ समझकर, जीव मात्र पर दया करो।
जाति धर्म का भेद मिटाने, कोई उपक्रम नया करो।।

मेरे भी हाथों में ए. के., तेरे भी हाथों में है।
ताव की बंडी में तू भी है, ताव मेरी बातों में है।।

खुद की खुजली घाव बन गई, कारण है नाखून बढ़ा।
सबके हाथों में असला है, आंखों में है खून चढ़ा।।

रोज नीम बोकर कहते हो, आम वतन में फल जाए।
मारा मारी गोली बारी, कर कहते हो हल पाए।।

हल मिल जाएगा हल ढूंढो, प्रश्न कठिनतम पर हल है।
और खुदाई करते रहना, धरती के भीतर जल है।।

मूलभूत मुद्दे पर मुद्दई, मन की बात करेंगे क्या।
जाति जंजीरों के पोषक, जन की बात करेंगे क्या।।

सर पर चढ़कर बोल रहा है, अज्ञानी का दम्भ अहम।
अदना सा प्यादा भी कहता, नहीं किसी से मैं हूँ कम।।

आज समझना बहुत जरूरी, छल कपट की नीति को।
भाई भाई से लड़वाने, स्वारथ वाली प्रीति को।।

छद्म स्वार्थ ने हमको तोड़ा, जानबूझकर बहक गए।
फूट डालने दाना फेंका, हम आपस मे झगड़ गए।।

बात करोगे बातों से ही, बातें कई निकल आएगी।
दुनिया पर संकट के बादल, को पल में निपटायेगी।।

भले भले की बात करो सब, करो सभी का ही भला।
सोच भलाई की सब सोचो, जगजीवन की यही कला।।

-साहेबलाल ‘सरल’

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 357 Views
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