Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Sep 2021 · 2 min read

मेरे पूर्वज मेरी प्ररेणा

मेरे पूर्वज मेरी प्ररेणा

मेरी माता जी मेरी जीवन भर प्रेरणा रही और ब्रहमलीन होने के बाद भी उनके द्वारा दी गई नेक सलाह अच्छी प्रेरक बाते ,सत्य की राह पर चलना,जरूरतमंद की सहायता को ततपर रहना आदि आज भी वरदान साबित हो रही हैं

हमेशा एक बात कहती थी कि चाहे कितनी भी परेशानी क्यों न आए, सत्य का मार्ग मत छोड़ो। सत्य के मार्ग पर चलते रहो तो परेशानी अपने आप रास्ता बदल लेती है। वह उस रास्ते को छोड़ जाती है और सत्य की विजय होती है। अगर जीवन में सत्य का मार्ग छोड़ दोगे तो हमेशा परेशानियां रास्ता रोकेंगी। आज माँ साथ नही हैं हमारे बीच में नहीं हैं, लेकिन उनके बताए रास्ते पर हम चल रहे हैं। परेशानियां आती हैं, लेकिन सत्य के रास्ते पर चलता देख वे रास्ता बदल देती हैं।हमेशा सत्य की राह ही आसान होती हैं।

साथ ही पापा की प्रेरणा सबका भला करो तो अपने भले की सोचने की जरूरत ही नही पड़ेगी।ईश्वर हर नेक बंदे के साथ होता हैं यही बाते उनकी आज भी मेरी प्रेरणा बनी हुई है उन्होंने ही हमें धर्म, समाजसेवा और नैतिक शिक्षा दी। उनकी यह सोच थी कि हम ऐसा कार्य न करें, जिससे दूसरों का नुकसान हो। उनके समाज सेवा में दिए गए योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता। उनका कहना था कि हमें दूसरों की मदद करने में योगदान देना चाहिए। उन्हीं की प्रेरणा से हमें सब कुछ मिला है। लगभग २९वर्ष पूर्व उनका निधन हो गया।मुझे तो लगता है कि वे आज भी हमारे बीच में हैं। उनकी प्रेरणा व आदर्शो को हम कभी नहीं भुला सकेंगे। उनकी स्मृति में उनकी पुण्यतिथि पर अपने श्रद्धासुमन अर्पित करती हूँ व पुरय कोशिश करती हूँ कि उनके बताए मार्ग पर चल सकूँ।

“माँ पापा की सीख को मानकर

जीवन डगर पर चलना होगा

सबका भला हो यही बात को

गांठ बांधकर चलना होगा

होगी तभी अपनी भी उन्नन्ति

जब होगी सभी की प्रगति”

डॉ मंजु सैनी

गाज़ियाबाद

Language: Hindi
Tag: लेख
1 Like · 1 Comment · 193 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr Manju Saini
View all
You may also like:
जहां हिमालय पर्वत है
जहां हिमालय पर्वत है
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
23/190.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/190.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
फिर वही शाम ए गम,
फिर वही शाम ए गम,
ओनिका सेतिया 'अनु '
मुकम्मल क्यूँ बने रहते हो,थोड़ी सी कमी रखो
मुकम्मल क्यूँ बने रहते हो,थोड़ी सी कमी रखो
Shweta Soni
"तुम्हारी गली से होकर जब गुजरता हूं,
Aman Kumar Holy
युद्ध घोष
युद्ध घोष
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
बाकी है...!!
बाकी है...!!
Srishty Bansal
■ मेरे संस्मरण
■ मेरे संस्मरण
*Author प्रणय प्रभात*
*जमाना बदल गया (छोटी कहानी)*
*जमाना बदल गया (छोटी कहानी)*
Ravi Prakash
किसी के दिल में चाह तो ,
किसी के दिल में चाह तो ,
Manju sagar
आलोचना - अधिकार या कर्तव्य ? - शिवकुमार बिलगरामी
आलोचना - अधिकार या कर्तव्य ? - शिवकुमार बिलगरामी
Shivkumar Bilagrami
फिर से
फिर से
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
यह जो पापा की परियां होती हैं, ना..'
यह जो पापा की परियां होती हैं, ना..'
SPK Sachin Lodhi
बिन काया के हो गये ‘नानक’ आखिरकार
बिन काया के हो गये ‘नानक’ आखिरकार
कवि रमेशराज
आइए मोड़ें समय की धार को
आइए मोड़ें समय की धार को
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
शैलजा छंद
शैलजा छंद
Subhash Singhai
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
गया दौरे-जवानी गया गया तो गया
गया दौरे-जवानी गया गया तो गया
shabina. Naaz
ओढ़कर कर दिल्ली की चादर,
ओढ़कर कर दिल्ली की चादर,
Smriti Singh
राखी
राखी
Shashi kala vyas
नरसिंह अवतार
नरसिंह अवतार
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
अभिमान
अभिमान
Neeraj Agarwal
सावन मे नारी।
सावन मे नारी।
Acharya Rama Nand Mandal
*जब तू रूठ जाता है*
*जब तू रूठ जाता है*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
व्यक्तिगत अभिव्यक्ति
व्यक्तिगत अभिव्यक्ति
Shyam Sundar Subramanian
फिल्मी नशा संग नशे की फिल्म
फिल्मी नशा संग नशे की फिल्म
Sandeep Pande
शक्ति की देवी दुर्गे माँ
शक्ति की देवी दुर्गे माँ
Satish Srijan
"आज का विचार"
Radhakishan R. Mundhra
सेर
सेर
सूरज राम आदित्य (Suraj Ram Aditya)
वह लोग जिनके रास्ते कई होते हैं......
वह लोग जिनके रास्ते कई होते हैं......
कवि दीपक बवेजा
Loading...