Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Oct 2020 · 2 min read

” मेरे छोटे भाई का आना “

पहला अनुभव / प्रथम खुशी ( संस्मरण )

बात सन 1968 जुलाई की है हम सब कलकत्ता में रहते थे मैं दो साल की थी मुझसे बड़ी दो बहने और हैं इन दो बहनों के बीच की एक बहन की मृत्यु आखिरी वक्त में अम्माँ के गर्भ में ही हो गई थी ( इसकी भी बहुत दर्दनाक कहानी है फिर कभी ) । उस वक्त क्या आज भी एक बेटे की चाह सबको रहती है बस आज की तरह बेटे की चाह में बेटी की बलि नही चढ़ाई जाती थी , मेरी अम्माँ से ज्यादा बाबू को बेटे की चाह थी वो बात अलग है की हम तीनों बहने बाबू की ज़्यादा प्यारी – दुलारी – सर चढ़ी थीं….कलकत्ता में हमारे फैमली डा० थे डा० दत्ता वो अम्माँ को अपनी बेटी मानते थे सबसे बड़ी बहन ( दीदी ) को छोड़कर ( पहली संतान होने के कारण उसका जन्म हमारे गाँव में हुआ था ) हम सब भाई – बहनों का जन्म डा० दत्ता के हाथों ही हुआ था और सबसे बड़ी बात ये की कमरा भी हर बार वही था । चार बहनों के बाद डा० दत्ता ने अम्माँ से वादा किया की इस बार तुमको बेटा ही दूँगा ( ये उनका अम्माँ के प्रति प्रेम था ) समय से अम्माँ अस्पताल चली गईं थी हमें बताया गया की भाई आया है थोड़ी देर में हम तीनों बहनों को लेकर हमारे ड्राइवर साहब भी अस्पताल पहुँच गये । आज भी उस वक्त का एक – एक दृश्य एकदम चलचित्र की भांति आँखों के सामने दिखाई देता है ( मेरी याददाश्त भाई के जन्म से लेकर आज तक सब मेरे मस्तिष्क में वैसी की वैसी विराजमान है ) कमरे में अम्माँ बेड पर लेटी थीं बगल में पालने में हम बहनों का छोटा भाई लेटा था गुलाबी छिलकेदार ( नये आलू जैसा ) उसका बदन आज भी याद है अम्माँ मुझे अपने पास बुला रहीं थी लेकिन मुझे भाई के आगे कुछ सुनाई नही दे रहा था । थोड़े दिनों के बाद अम्माँ घर आईं मेरे पीठ की पूजा की गई ( वजह थी की मेरे बाद लड़के का आगमन ) मुझे इन सब किसी बात से कोई लेना – देना नही था मेरे लिए मेरे जीवन की सबसे पहली खुशी थी मेरे छोटे भाई का आना ।

स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 19/10/2020 )

Language: Hindi
266 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Mamta Singh Devaa
View all
You may also like:
2771. *पूर्णिका*
2771. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
तब तो मेरा जीवनसाथी हो सकती हो तुम
तब तो मेरा जीवनसाथी हो सकती हो तुम
gurudeenverma198
"सोज़-ए-क़ल्ब"- ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
नव-निवेदन
नव-निवेदन
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
घंटा हिलाने वाली कौमें
घंटा हिलाने वाली कौमें
Shekhar Chandra Mitra
अकेला
अकेला
Vansh Agarwal
"औषधि"
Dr. Kishan tandon kranti
" तुम्हारे संग रहना है "
DrLakshman Jha Parimal
विज्ञान का चमत्कार देखो,विज्ञान का चमत्कार देखो,
विज्ञान का चमत्कार देखो,विज्ञान का चमत्कार देखो,
पूर्वार्थ
जीवन में सारा खेल, बस विचारों का है।
जीवन में सारा खेल, बस विचारों का है।
Shubham Pandey (S P)
गजल सगीर
गजल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
कितना सुकून और कितनी राहत, देता माँ का आँचल।
कितना सुकून और कितनी राहत, देता माँ का आँचल।
डॉ.सीमा अग्रवाल
সেই আপেল
সেই আপেল
Otteri Selvakumar
तेवरी आन्दोलन की साहित्यिक यात्रा *अनिल अनल
तेवरी आन्दोलन की साहित्यिक यात्रा *अनिल अनल
कवि रमेशराज
जग का हर प्राणी प्राणों से प्यारा है
जग का हर प्राणी प्राणों से प्यारा है
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
*सपना देखो हिंदी गूँजे, सारे हिंदुस्तान में(गीत)*
*सपना देखो हिंदी गूँजे, सारे हिंदुस्तान में(गीत)*
Ravi Prakash
पृष्ठों पर बांँध से
पृष्ठों पर बांँध से
Neelam Sharma
नींव में इस अस्तित्व के, सैकड़ों घावों के दर्द समाये हैं, आँखों में चमक भी आयी, जब जी भर कर अश्रु बहाये हैं।
नींव में इस अस्तित्व के, सैकड़ों घावों के दर्द समाये हैं, आँखों में चमक भी आयी, जब जी भर कर अश्रु बहाये हैं।
Manisha Manjari
अंदाज़े बयाँ
अंदाज़े बयाँ
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
■ ज्यादा कौन लिखे?
■ ज्यादा कौन लिखे?
*Author प्रणय प्रभात*
तितली रानी
तितली रानी
Vishnu Prasad 'panchotiya'
ऐ ज़ालिम....!
ऐ ज़ालिम....!
Srishty Bansal
इश्क़ में जूतियों का भी रहता है डर
इश्क़ में जूतियों का भी रहता है डर
आकाश महेशपुरी
कैसी
कैसी
manjula chauhan
समय यात्रा संभावना -एक विचार
समय यात्रा संभावना -एक विचार
Shyam Sundar Subramanian
प्रतिध्वनि
प्रतिध्वनि
Er. Sanjay Shrivastava
इस मुस्कुराते चेहरे की सुर्ख रंगत पर न जा,
इस मुस्कुराते चेहरे की सुर्ख रंगत पर न जा,
डी. के. निवातिया
कैदी
कैदी
Tarkeshwari 'sudhi'
संघर्ष वह हाथ का गुलाम है
संघर्ष वह हाथ का गुलाम है
प्रेमदास वसु सुरेखा
The Moon!
The Moon!
Buddha Prakash
Loading...