मेरे खेवनहार
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मेरे खेवनहार
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ऐ मेरे सरकार, तुम ही खेवनहार।
नैया है मजधार, नाथ लगाओ पार।।
मैं बालक मतिमंद,
हूँ पर गैरतमंद।
कर दो बेड़ा पार,
जीवन हो साकार।।
सुन लो खेवनहार, कर दो अब उद्धार।
नैया है मजधार, नाथ लगाओ पार।।
उर में भर दो धीर,
बना रहूँ गम्भीर।
चलूं सत्य के साथ,
सर पे तेरा हाथ।।
जग के पालनहार, तुम ही हो भरतार।
नैया है मजधार, नाथ लगाओ पार।।
जीवन के दिन चार,
सुंदर हो व्यवहार।
करे जगत सत्कार,
मिले नहीं दुत्कार।।
सुन लो हे करतार, जग चालक सरकार।
नैया है मजधार, नाथ लगाओ पार।।
✍️पं.संजीव शुक्ल “सचिन”