Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Feb 2021 · 1 min read

मेरे कांच के घरों में

वो महजब के नाम पर जला गये मेरी गरीब बस्तियाँ
मुझ गरीब परिंदे की डूब चली कागज़ की कश्तियाँ
नफरत उग गई थी हर तरफ खेत खलिहानों में भी
मेरे कांच के घरों में पत्थर लेकर आई बड़ी हस्तियाँ

अशोक सपड़ा की कलम से

Language: Hindi
247 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
उलझनें
उलझनें
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
मेरी चाहत रही..
मेरी चाहत रही..
हिमांशु Kulshrestha
ग़ज़ल- मशालें हाथ में लेकर ॲंधेरा ढूॅंढने निकले...
ग़ज़ल- मशालें हाथ में लेकर ॲंधेरा ढूॅंढने निकले...
अरविन्द राजपूत 'कल्प'
नैतिकता की नींव पर प्रारंभ किये गये किसी भी व्यवसाय की सफलता
नैतिकता की नींव पर प्रारंभ किये गये किसी भी व्यवसाय की सफलता
Paras Nath Jha
साधु की दो बातें
साधु की दो बातें
Dr. Pradeep Kumar Sharma
ईंट खोदकर नींव की, गिरा दिया निज गेह ।
ईंट खोदकर नींव की, गिरा दिया निज गेह ।
Arvind trivedi
बेबाक ज़िन्दगी
बेबाक ज़िन्दगी
Neelam Sharma
रास्ते में आएंगी रुकावटें बहुत!!
रास्ते में आएंगी रुकावटें बहुत!!
पूर्वार्थ
आजा रे अपने देश को
आजा रे अपने देश को
gurudeenverma198
मन के भाव हमारे यदि ये...
मन के भाव हमारे यदि ये...
Dr. Rajendra Singh 'Rahi'
प्रिय
प्रिय
The_dk_poetry
रामायण से सीखिए,
रामायण से सीखिए,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
डिग्रियों का कभी अभिमान मत करना,
डिग्रियों का कभी अभिमान मत करना,
Ritu Verma
कभी कभी
कभी कभी
Shweta Soni
बाजारवाद
बाजारवाद
Punam Pande
*बाल गीत (मेरा मन)*
*बाल गीत (मेरा मन)*
Rituraj shivem verma
💐अज्ञात के प्रति-136💐
💐अज्ञात के प्रति-136💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
पगली
पगली
Kanchan Khanna
😊काम बिगाड़ू भीड़😊
😊काम बिगाड़ू भीड़😊
*Author प्रणय प्रभात*
नये अमीर हो तुम
नये अमीर हो तुम
Shivkumar Bilagrami
306.*पूर्णिका*
306.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*अम्मा*
*अम्मा*
Ashokatv
जन्म दिन
जन्म दिन
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
बचपन खो गया....
बचपन खो गया....
Ashish shukla
" जिन्दगी क्या है "
Pushpraj Anant
बुंदेली दोहा बिषय- नानो (बारीक)
बुंदेली दोहा बिषय- नानो (बारीक)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
"विषधर"
Dr. Kishan tandon kranti
शरद पूर्णिमा का चांद
शरद पूर्णिमा का चांद
Mukesh Kumar Sonkar
*दासता जीता रहा यह, देश निज को पा गया (मुक्तक)*
*दासता जीता रहा यह, देश निज को पा गया (मुक्तक)*
Ravi Prakash
ये मेरे घर की चारदीवारी भी अब मुझसे पूछती है
ये मेरे घर की चारदीवारी भी अब मुझसे पूछती है
श्याम सिंह बिष्ट
Loading...