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14 Sep 2017 · 1 min read

मेरी हिन्दी

हिन्दी की करुण व्यथा का,
मैं क्या बयान करूँ?
हिन्दी की सब हिन्दी करते,
इंग्लिश पर अभिमान क्यों?
बात यहाँ की शब्द वहाँ के,
चाल यहाँ की,ढाल वहाँ के,
हिन्दी नहीं हिंगलिश बकते,
शिक्षा का ये अंजाम क्यों?
सुट-बूट में तकती हिन्दी,
होड़ दौड़ में दबती हिन्दी,
बात बात में कटती रहती,
हिन्दी का ये अपमान क्यों?
साहित्य की सपन्न हिन्दी,
मातृ कंठ में बसती हिन्दी,
शब्दों में सागर सी रमती,
स्वर शक्ति से अनजान क्यों?
चीनी पड़ते चीनी शिक्षा,
रुसी लेते रुसी दीक्षा,
हिन्दी को समझे क्यों दूजा,
उच्चशिक्षा में ये अभिशाप क्यों?
सब भाषाओँ से जुड़ती हिन्दी,
सहज भाव से मुड़ती हिन्दी,
कवियों के कर में खिलती,
इस उपवन में ये शाम क्यों?
(डॉ शिव”लहरी”)

Language: Hindi
4 Likes · 2 Comments · 593 Views
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