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11 Aug 2021 · 1 min read

मेरी सोच _ तेरी सोच __ घनाक्षरी

मेरी सोच तेरी सोच मिल नहीं सकती है।
जहां तेरी रूकती है, वही मेरी चलती है।।
तू तो चाहे झूंठ बोलु,तेरे आगे पीछे डोलूं।
मुझसे न होगा यह,बात मुझे खलती हैं।।
सब मेरे अपने है, यही मेरे सपने है।
सोच मेरे मन में तो,रोज ही पलती है।।
चलना तू तेरी राह,मुझे नहीं चलना है।
मेरी राह सोच मेरी,कभी न बदलती है।।
राजेश व्यास अनुनय

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