Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Apr 2020 · 1 min read

मिरी याद दिल से मिटाने लगे हैं

नज़र आज कल वो चुराने लगे हैं।
मिरी याद दिल से मिटाने लगे हैं।।

हमारे सपन , जो सँजोते न थकते।
वही बे – वफ़ा अब बुलाने लगे हैं।।

मुझे ज़िंदगी जो समझते थे हरदम।
क़दर आज मेरी भुलाने लगे हैं।।

हँसी औ ख़ुशी की सजाते थे महफ़िल।
ख़ुदा की कसम वो रुलाने लगे है।।

सातेंदर बनाया जिसे था सहारा।
वही बे – सहारा बनाने लगे हैं।।

✍️ सतेन्द्र गुप्ता
पडरौना-कुशीनगर
मो. :- 6393000233

237 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
2598.पूर्णिका
2598.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
🌸Prodigy Love-48🌸
🌸Prodigy Love-48🌸
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
(वक्त)
(वक्त)
Sangeeta Beniwal
खामोश रहना ही जिंदगी के
खामोश रहना ही जिंदगी के
ओनिका सेतिया 'अनु '
#शेर-
#शेर-
*Author प्रणय प्रभात*
ध्वनि प्रदूषण कर दो अब कम
ध्वनि प्रदूषण कर दो अब कम
Buddha Prakash
तुम सत्य हो
तुम सत्य हो
Dr.Pratibha Prakash
इतना तो करम है कि मुझे याद नहीं है
इतना तो करम है कि मुझे याद नहीं है
Shweta Soni
दोहा-
दोहा-
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
संकल्प
संकल्प
Dr. Pradeep Kumar Sharma
इंतजार बाकी है
इंतजार बाकी है
शिवम राव मणि
पुरानी ज़ंजीर
पुरानी ज़ंजीर
Shekhar Chandra Mitra
हाईकमान (हास्य व्यंग्य)
हाईकमान (हास्य व्यंग्य)
Ravi Prakash
इंसान VS महान
इंसान VS महान
Dr MusafiR BaithA
लाल फूल गवाह है
लाल फूल गवाह है
Surinder blackpen
" जय भारत-जय गणतंत्र ! "
Surya Barman
Perceive Exams as a festival
Perceive Exams as a festival
Tushar Jagawat
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
23)”बसंत पंचमी दिवस”
23)”बसंत पंचमी दिवस”
Sapna Arora
सफलता वही है जो निरंतर एवं गुणवत्तापूर्ण हो।
सफलता वही है जो निरंतर एवं गुणवत्तापूर्ण हो।
dks.lhp
एक उलझन में हूं मैं
एक उलझन में हूं मैं
हिमांशु Kulshrestha
कागज के फूल
कागज के फूल
डा गजैसिह कर्दम
पंखा
पंखा
देवराज यादव
समान आचार संहिता
समान आचार संहिता
Bodhisatva kastooriya
*** पल्लवी : मेरे सपने....!!! ***
*** पल्लवी : मेरे सपने....!!! ***
VEDANTA PATEL
सियासी खेल
सियासी खेल
AmanTv Editor In Chief
(5) नैसर्गिक अभीप्सा --( बाँध लो फिर कुन्तलों में आज मेरी सूक्ष्म सत्ता )
(5) नैसर्गिक अभीप्सा --( बाँध लो फिर कुन्तलों में आज मेरी सूक्ष्म सत्ता )
Kishore Nigam
तुझसें में क्या उम्मीद करू कोई ,ऐ खुदा
तुझसें में क्या उम्मीद करू कोई ,ऐ खुदा
Sonu sugandh
3) मैं किताब हूँ
3) मैं किताब हूँ
पूनम झा 'प्रथमा'
एक नयी रीत
एक नयी रीत
Harish Chandra Pande
Loading...