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14 May 2017 · 1 min read

मेरी माँ

माँ वह शब्द हैं, जिसके आगे सभी शब्द, निःशब्द हैं ।

शब्द भी कम पड़ जाते हैं,
जब माँ की महिमा सुनते हैं,

धरा पर ममता का रूप हैं,
देवी का सच्चा स्वरूप हैं,

चाहे मिले सृष्टि का सारा सुख,
भूल जाता हूँ ,देख माँ का मुख,

उनकी वाणी में है ऐसी मिठास,
सुनता रहूँ, बैठ उनके ही पास,

अनेक कष्टो को वह जब सहती,
अपनी व्यथा किसी से न कहती,

खुद सारी रात जागती,
बच्चो को वह सुलाती,

सारे सपनो को वह भुलाती,
तुमको न वह कभी रुलाती,

चाहे जेष्ठ की दोपहरी में पैदल ही चलती,
पर तुमको तो वह अपनी छाती से लगाती,

पिता की डांट से तुमको बचाती,
लोरी सुनाकर तुमको सुलाती,

जाड़े की ठिठुरन हो या गर्मी की तपन,
सब सहकर संवारती तुम्हारा वतन,

माँ अनंत प्यार का सागर हैं,
माँ को कोटि कोटि नमन हैं,
।।।जेपीएल।।।

Language: Hindi
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