Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Apr 2017 · 1 min read

मेरी भी चिंता करो, सोच रहे हैं दांत/ बना भ्रांति-लांगूट यही है जगत् की वमन

बमन कर रहा क्रोध की, उछल -उछल नौ हाथ|
मेरी भी चिंता करो, सोच रहे हैं दांत||
सोच रहे हैं दांत, नाथ पर हम शर्मिंदा|
हिंसक मेरा नाम, आदमी का दिल गंदा||
कह “नायक” कविराय, प्रीति बिन, मैला-सा मन|
बना भ्रांति-लांगूट, यही है जगत् की वमन||

बृजेश कुमार नायक
“जागा हिंदुस्तान चाहिए” एवं “क्रौंच सुऋषि आलोक” कृतियों के प्रणेता

680 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Pt. Brajesh Kumar Nayak
View all
You may also like:
कभी भ्रम में मत जाना।
कभी भ्रम में मत जाना।
surenderpal vaidya
-- आगे बढ़ना है न ?--
-- आगे बढ़ना है न ?--
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
थक गया दिल
थक गया दिल
Dr fauzia Naseem shad
मुरली कि धुन
मुरली कि धुन
Anil chobisa
हिंसा
हिंसा
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
*जन्मदिवस पर केक ( बाल कविता )*
*जन्मदिवस पर केक ( बाल कविता )*
Ravi Prakash
माना मैं उसके घर नहीं जाता,
माना मैं उसके घर नहीं जाता,
डी. के. निवातिया
जीवन के उपन्यास के कलाकार हैं ईश्वर
जीवन के उपन्यास के कलाकार हैं ईश्वर
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
ग़ज़ल/नज़्म - ये हर दिन और हर रात हमारी होगी
ग़ज़ल/नज़्म - ये हर दिन और हर रात हमारी होगी
अनिल कुमार
*दे दो पेंशन सरकार*
*दे दो पेंशन सरकार*
मानक लाल मनु
अकेलेपन ने सिखा दिया
अकेलेपन ने सिखा दिया
Surinder blackpen
दोहा
दोहा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
क़ौमी यकजहती
क़ौमी यकजहती
Shekhar Chandra Mitra
दोहा
दोहा
दुष्यन्त 'बाबा'
वृद्धाश्रम
वृद्धाश्रम
मनोज कर्ण
*रेल हादसा*
*रेल हादसा*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
"अनकही सी ख़्वाहिशों की क्या बिसात?
*Author प्रणय प्रभात*
2316.पूर्णिका
2316.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
निकट है आगमन बेला
निकट है आगमन बेला
डॉ.सीमा अग्रवाल
कोरोना का संहार
कोरोना का संहार
Dr. Pradeep Kumar Sharma
हम शिक्षक
हम शिक्षक
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
विचार सरिता
विचार सरिता
Shyam Sundar Subramanian
सत्य
सत्य
देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
"रिश्ता" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
Exhibition
Exhibition
Bikram Kumar
लोकतंत्र में भी बहुजनों की अभिव्यक्ति की आजादी पर पहरा / डा. मुसाफ़िर बैठा
लोकतंत्र में भी बहुजनों की अभिव्यक्ति की आजादी पर पहरा / डा. मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
'मेरे बिना'
'मेरे बिना'
नेहा आज़ाद
वो ही तो यहाँ बदनाम प्यार को करते हैं
वो ही तो यहाँ बदनाम प्यार को करते हैं
gurudeenverma198
पश्चिम हावी हो गया,
पश्चिम हावी हो गया,
sushil sarna
लिखें और लोगों से जुड़ना सीखें
लिखें और लोगों से जुड़ना सीखें
DrLakshman Jha Parimal
Loading...