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29 Jun 2020 · 1 min read

मेरी बेटी

“ बेटी “शब्द सुनते ही

कानों में मधुर घंटियाँ बजती ,

सारे जहाँ की खुशियाँ

नस – नस में उतरती ,

मेरी बेटी जब मेरे आंसूओं को

अपने नन्हे – नन्हे हाथों से पोछती ,

तब वो दुनिया की सारी सच्चाईयों को झुठलाती

ये कर दिखाती ,

कि आँसू नमकीन नहीं

मीठे होते हैं

जो मेरी माँ की

आँखों से बहते हैं ,

मेरी माँ ने भी किये होंगे पुण्य

तभी उन्होंने बेटियाँ जनी

वही पुण्य मुझमें आया

जो मै बेटी की माँ बनी !!

स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 13 – 05 – 2003 )

Language: Hindi
2 Comments · 282 Views
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