मेरी तस्वीर को सीने से लगाना तेरा
बन गया है मेरा दिल जब से निशाना तेरा
यार तब से है बना दिल में निशाना तेरा
मुझको मदहोश बनाती है ये अँगडाई तेरी
उसपे इक और सितम नाज़ दिखाना तेरा
करते मज़बूर बहकने पे क़दम ऐ दिलबर
जाम नज़रों से मुझे आज पिलाना तेरा
कितना दिलक़श है ये अंदाजे़ मुहब्बत ऐ सनम
मेरी नींदों में मुझे आके जगाना तेरा
दिल के ज़ज़्बात ओ उल्फ़त को बयां करती हैं
मेरी तस्वीर को सीने से लगाना तेरा
दूरियाँ आओ मिटा डालें सभी ऐ “प्रीतम ”
वरना बन जाए न ये इश्क़ फ़साना तेरा
प्रीतम राठौर भिनगाई
श्रावस्ती (उ०प्र०)