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15 Feb 2021 · 1 min read

— मेरी तमन्ना —

एक कफ़न की खातिर
मैं रोज न जाने कितने वस्त्र बदलता हूँ
मैं कैसा हूँ, कैसा लगता हूँ
बार बार यह बात सब से पूछता हूँ
सपनो में जीता नही कभी
इस लिए संघर्ष के लिए जूझता हूँ
यहाँ किस को कहूँ मैं अपना
यहाँ हर योनी में लिबास जो बदलता हूँ
आज यह रिश्ते नाते हैं
कल को सब यह बेगाने हो जाने हैं
धरती पर है मेरा किराए का घर
प्रभु चरणों में रहने की दुआ करता हूँ
मंजिल तो मेरी शमशान नही दोस्तों
बस इस से गुजर जाने की तमन्ना रखता हूँ
जब तक जिऊंगा फक्र से जीना है
इंसान हूँ, इंसानियत की फिक्र भी रखता हूँ !!

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

Language: Hindi
4 Likes · 11 Comments · 321 Views
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