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10 Jul 2017 · 1 min read

मेरी ग़ज़ल के दो शेर

तेरे शहर में रिश्तो का कोई सम्मान नहीं होता ,
मेरे गांव की तरह मेहमान, भगवान नहीं होता ।।
अपने हाथों से लिखते हैं तकदीर- ऐ -इबारत,
हम गरीबों की किस्मत में, वरदान नहीं होता ।।

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