— मेरी आदत है —
उलझाने बहुत हैं जिन्दगी में
सुलझा ही लिया करता हूँ
तस्वीर खिचवाते वक्त मैं
मुस्कुरा लिया करता हूँ
क्यूं करूं नुमाईश मैं
अपने माथे पर शिकन की
उन सब को मैं अपनी मुस्कान
से मिटा जो लिया करता हूँ
जब लडाई ही है खुद से
हार जाऊं या मैं जीत जाऊं
न हारने का गम न जीतने की ख़ुशी
ऐसे कोई रंज दिल में नही रखता हूँ
गिर कर संभालना सीखा था
तभी तो आगे बढ़ लेता हूँ
मैं वो इंसान हूँ जग में दोस्तों
जिस ने यहाँ हर गम को झेला है
अजीत कुमार तलवार
मेरठ