*मेरी अभिलाषा*
मेरी अभिलाषा
चाह नही मैं माँ बाप का,
अनादर करते जाऊँ।।
चाह नही मैं उँच नीच की,
खाई खोदे जाऊँ।।
चाह नही मैं अंहकारीयो के,,
जैसे सिर चढ़ कर बैठ जाउँ।
चाह नही मैं गद्दारों के संग,,,
देशविरोधी में हाथ मिलाऊँ,,
चाह नही मैं दिन दुःखियों के,,
दुःख लाचारी पर हर्षा जाऊँ,,
चाह नही मैं धन दौलत पाकर,,
अपने भाग्य पर इतराऊँ।।।
मुझे दे देना इतना ज्ञान शारदे,,
मैं मन्द बुद्धि न कभी कहलाऊँ,,
नन्ने मुन्ने बच्चों का भी,,,मैं,,,
भविष्य जग में चमका जाऊँ।।।
गायत्री सोनू जैन मन्दसौर